
इजराइल और ईरान के बीच युद्ध की असली जड़ व्हाइट हाउस है।
इजराइल: ईरान की हवा में इस समय बारूद की गंध घुली हुई है। दरअसल, शुक्रवार सुबह 200 से ज्यादा इजराइली लड़ाकू विमानों ने ईरान में करीब 100 जगहों पर कहर बरपाया। इस हमले में ईरान के परमाणु ठिकाने तबाह हो गए। यहां तक कि इस हमले में उसके रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख और चीफ ऑफ स्टाफ की भी मौत हो गई।
इजराइल: ईरान की हवा में इस समय बारूद की गंध घुली हुई है। दरअसल, शुक्रवार सुबह 200 से ज्यादा इजराइली लड़ाकू विमानों ने ईरान में करीब 100 जगहों पर कहर बरपाया। इस हमले में ईरान के परमाणु ठिकाने तबाह हो गए। यहां तक कि इस हमले में उसके रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख और चीफ ऑफ स्टाफ की भी मौत हो गई।
परमाणु केंद्र पर काम कर रहे कई परमाणु वैज्ञानिक भी इजराइली हमले का शिकार हुए। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई इस इजराइली हमले से नाराज हैं और उन्होंने धमकी दी है कि इजराइल को इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे। इसके साथ ही ईरान ने इजराइल की ओर 100 ड्रोन भी दागे हैं।
ईरान ने साफ तौर पर कहा है कि यह हमला संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 2(4) का सीधा उल्लंघन है और अनुच्छेद 51 के तहत उसे इस हमले का जवाब देने का पूरा अधिकार है। साथ ही ईरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से तत्काल और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
इसके साथ ही ईरान ने अमेरिकी सरकार पर भी बड़ा आरोप लगाया है। ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका की सहमति और सहयोग के बिना ऐसी आक्रामक कार्रवाई संभव नहीं थी। ऐसे में अमेरिका को इन "खतरनाक परिणामों" के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
ईरान ने दुनिया भर के इस्लामी देशों, गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सदस्य देशों और विश्व शांति में विश्वास रखने वाले सभी देशों से अपील की है कि वे इस क्रूरता की निंदा करें और इसका मिलकर सामना करें क्योंकि यह सिर्फ़ ईरान पर हमला नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया की शांति के लिए ख़तरे का संकेत है।
