सरकार स्कूलों की एसएमसी कमेटियों का राजनीतिकरण कर रही है - जीटीयू

मोहाली- मौजूदा आप सरकार का शिक्षा विभाग अपने नित नए अनुभवों से पंजाब में शिक्षा को बर्बाद करने पर तुला हुआ है, जिससे न केवल स्कूलों में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ा है, बल्कि स्कूलों के माहौल और सीखने-सिखाने की प्रक्रिया पर भी गहरा असर पड़ा है। ऐसा ही एक और मामला सामने आया है। स्कूलों की प्रबंधन कमेटियों में जिन्हें शामिल किया जाना चाहिए स्कूलों में स्कूल प्रबंधन कमेटी जिसे नींव पत्थर रखने के कारण 31 मई तक की मोहलत दी गई थी।

मोहाली- मौजूदा आप सरकार का शिक्षा विभाग अपने नित नए अनुभवों से पंजाब में शिक्षा को बर्बाद करने पर तुला हुआ है, जिससे न केवल स्कूलों में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ा है, बल्कि स्कूलों के माहौल और सीखने-सिखाने की प्रक्रिया पर भी गहरा असर पड़ा है। ऐसा ही एक और मामला सामने आया है। स्कूलों की प्रबंधन कमेटियों में जिन्हें शामिल किया जाना चाहिए स्कूलों में स्कूल प्रबंधन कमेटी जिसे नींव पत्थर रखने के कारण 31 मई तक की मोहलत दी गई थी। 
अब जब यह समय सीमा बीत गई है तो राज्य सरकार ने नई कमेटियों के गठन में अपने कार्यकर्ताओं को राजनीतिक रूप से प्रवेश करवा दिया है, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी सैसी द्वारा प्रिंसिपलों और हेडमास्टरों के व्हाट्सएप ग्रुप में एक अनाधिकारिक सूची डाली गई है, जिसमें समाजसेवियों के नाम लिखे गए हैं और उन्हें सदस्य लेने के लिए कहा गया है, जो किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है। 
प्रेस बयान के माध्यम से जानकारी देते हुए गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन यूनिट मोहाली के जिला अध्यक्ष रविंदर सिंह पप्पी सिद्धू और जिला महासचिव मनप्रीत सिंह गोसलान ने कहा कि सरकार समाज शिक्षा कार्यकर्ता सदस्यों की सूची भेजकर इस सूची में दर्ज समाज कार्यकर्ताओं को ही एसएमसी कमेटी में डालने का जबरदस्ती दबाव बना रही है, जो सरासर धक्केशाही है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों के दौरान ये कार्यकर्ता कहां थे, जो अब शिक्षा सुधार के लिए कमर कस रहे हैं। 
शहरों और गांवों से कुछ सज्जन लोग हैं, जो स्कूलों और बच्चों के लिए चंदे के रूप में कुछ न कुछ देते रहते हैं। उन समाज कार्यकर्ताओं को सदस्य बनाया जाना चाहिए। ये कार्यकर्ता सरकार द्वारा किए जा रहे उद्घाटन समारोहों में भी नजर नहीं आए, जब अध्यापक अपनी जेब से पैसे डालकर खाने-पीने का सामान ला रहे थे और टेंट लगवा रहे थे। 
अचानक सरकार और ये कार्यकर्ता स्कूलों की धुंध को लेकर जाग गए हैं। हालांकि सरकार या स्थानीय सरकार का कोई प्रतिनिधि एसएमसी कमेटी में बतौर सदस्य होता है, फिर इस विशेष प्रविष्टि की क्या जरूरत है? यह शुद्ध राजनीति है और जीटीयू इसका कड़ा विरोध करती है। उन्होंने मांग की कि इस पत्र और नादिरशाही फरमान को तुरंत वापस लिया जाए। 
इस मौके पर गुलजीत सिंह, वरिंदर कुमार, रवि कुमार, दर्शन सिंह, हरमनजीत सिंह बब्बू, सोहन सिंह, कुलविंदर सिंह, चरणजीत सिंह, सतविंदर कौर, वीना रानी, सतिंदरपाल कौर, सरबजीत कौर, बलजीत सिंह, राजेस कुमार, सुखजिंदर सिंह, बलजीत सिंह चुंबर, गुरप्रीतपाल सिंह, शमशेर सिंह, गुरबीर सिंह, जगदीप सिंह, संदीप सिंह, मनोज कुमार आदि शिक्षक नेता मौजूद थे।