
किसान, आढ़ती और मजदूर परेशान हैं लेकिन केंद्र और राज्य सरकार सो रही हैं: दर्शन सिंह मट्टू
गढ़शंकर 13 अक्टूबर - संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर विभिन्न संगठनों ने गढ़शंकर-होशियारपुर मुख्य मार्ग पर धरना देकर यातायात अवरुद्ध कर दिया। इस मौके पर विभिन्न किसान संगठनों ने केंद्र व पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, इससे किसान, आढ़ती व मजदूर परेशान हो रहे हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्र और राज्य सरकार गहरी नींद में सोयी हुई है.
गढ़शंकर 13 अक्टूबर - संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर विभिन्न संगठनों ने गढ़शंकर-होशियारपुर मुख्य मार्ग पर धरना देकर यातायात अवरुद्ध कर दिया। इस मौके पर विभिन्न किसान संगठनों ने केंद्र व पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, इससे किसान, आढ़ती व मजदूर परेशान हो रहे हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्र और राज्य सरकार गहरी नींद में सोयी हुई है.
इस मौके पर उन्होंने कहा कि करीब पांच हजार शैलर मालिक पुराने स्टॉक के कारण पहले ही अरबों रुपये का नुकसान उठा चुके हैं। जिस गति से पंजाब सरकार और केंद्र सरकार द्वारा धान की लिफ्टिंग की जा रही है, उससे लगता है कि यह अगले साल तक भी नहीं होगा। इसलिए संघर्ष के बिना कोई समाधान नहीं है. उन्होंने कहा कि धान पंजाब के लोगों का भोजन नहीं है. लेकिन देश के लिए धान पैदा करने वाले पंजाब के किसानों ने राज्य का पानी ख़त्म कर दिया है. पंजाब का किसान हर साल करीब 200 लाख टन धान पैदा कर रहा है.
उन्होंने कहा कि किसानों को बाजार में धान बेचने और पैसे लेने के लिए धरना देना पड़ता है. इस मौके पर कुल हिंद किसान सभा के प्रांतीय नेता दर्शन सिंह मट्टू, गुरनेक सिंह बज्जल, किरती किसान सभा के नेता कुलविंदर सिंह चहल, हरमेश ढेसी और कुलभूषण कुमार ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने धान की खरीद और उठान व्यवस्था को सुचारु नहीं किया तो फिर सभी किसान संगठनों द्वारा जोरदार संघर्ष शुरू किया जाएगा।
इस अवसर पर बलवीर सिंह अध्यक्ष आरती यूनियन, शाम लाल, रामजी दास चौहान, हरभजन अटवाल, शेरजंग बहादुर सिंह, बूटा सिंह अलीपुर, राजिंदर सिंह गिल, जुझार सिंह मट्टू, कश्मीर सिंह बज्जल, कुलवंत सिंह गोलेवाल, शमशेर सिंह, गोपाल सिंह थांडी, गोल्डी सिंह, बख्शीश सिंह दयाल प्रधान, रविंदर नीटा, दविंदर सिंह राणा, बलवंत रॉय, सुनील कुमार, सुमित सोनी, बीबी रशपाल कौर, तजिंदर कौर और मंजीत कौर समेत बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।
