जल विवाद: पंजाब सरकार ने समीक्षा याचिका दायर की

चंडीगढ़, 12 मई - पंजाब सरकार ने आज पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर 6 मई के निर्णय की समीक्षा का अनुरोध किया। पंजाब सरकार ने दावा किया है कि केंद्रीय गृह सचिव बीबीएमबी नियम 10 की धारा 7 के तहत पानी के संबंध में कोई भी निर्णय लेने के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं हैं, जबकि यह मामला केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह सचिव ने 2 मई को बैठक कर हरियाणा से 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने को कहा था।

चंडीगढ़, 12 मई - पंजाब सरकार ने आज पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर 6 मई के निर्णय की समीक्षा का अनुरोध किया। पंजाब सरकार ने दावा किया है कि केंद्रीय गृह सचिव बीबीएमबी नियम 10 की धारा 7 के तहत पानी के संबंध में कोई भी निर्णय लेने के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं हैं, जबकि यह मामला केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह सचिव ने 2 मई को बैठक कर हरियाणा से 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने को कहा था।
पंजाब सरकार ने पुनर्विचार याचिका में यह भी तर्क दिया है कि केंद्रीय गृह सचिव ने अपने फैसले में हरियाणा को आठ दिन के लिए अतिरिक्त पानी देने के निर्देश दिए थे, लेकिन ये आठ दिन 10 मई को समाप्त हो गए। सबसे बड़ा मुद्दा यह उठाया गया है कि हरियाणा ने पश्चिमी यमुना नहर की मरम्मत का हवाला देते हुए पंजाब से अतिरिक्त पानी की मांग की थी और अब यमुना नहर की मरम्मत के बाद 5 मई को पानी आना शुरू हो गया है। राज्य सरकार 2 मई के फैसले को अनधिकृत बता रही है और बीबीएमबी द्वारा उठाए गए कदमों पर भी सवाल उठाए गए हैं। 
पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि हरियाणा को अतिरिक्त पानी उपलब्ध करवाने का मामला केंद्र सरकार को भेजे जाने के बाद बीबीएमबी स्वयं धारा 7 के तहत निर्णय लेने के लिए सक्षम नहीं है। यह भी कहा गया है कि जल विवादों का समाधान जल न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आता है, न कि बीबीएमबी या केंद्र सरकार के। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पहले घोषणा की थी कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी, लेकिन बाद में एडवोकेट जनरल की सलाह पर समीक्षा याचिका दायर करने का फैसला किया गया।
फिलहाल भाखड़ा नहर में अतिरिक्त पानी छोड़ना संभव नहीं है!
चंडीगढ़ (चरणजीत भुल्लर): भाखड़ा नहर के अधीक्षण अभियंता द्वारा बीबीएमबी को भेजे गए पत्र के अनुसार फिलहाल नहर में हरियाणा के लिए 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ना संभव नहीं लगता है। पर्यवेक्षक अभियंता का तर्क है कि भाखड़ा नहर के किनारे कई स्थानों पर कमजोर हो गए हैं और यदि अधिक पानी छोड़ा गया तो नुकसान हो सकता है। यह पत्र पंजाब और हरियाणा को अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने के मुद्दे पर चल रहे विवाद के दौरान बाधा बन सकता है। 
अधीक्षण अभियंता ने बीबीएमबी को पंजाब से परामर्श किए बिना भाखड़ा नहर में अतिरिक्त पानी न छोड़ने को कहा है, क्योंकि नहर में मरम्मत का काम चल रहा है। यह भी कहा गया है कि यदि अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण किसी प्रकार की जान-माल की हानि होती है तो इसके लिए बीबीएमबी जिम्मेदार होगी। इस पत्र के बाद बीबीएमबी ने भाखड़ा नहर की समीक्षा के लिए दो दिन पहले एक तकनीकी टीम भेजी। टीम को भाखड़ा नहर पर चल रहे कार्य को दिखाया गया है। इस संबंध में बीबीएमबी की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। 
महत्वपूर्ण जानकारी के अनुसार हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से संबंधित बीबीएमबी के फैसले और कार्य अब पंजाब से छिपाए जा रहे हैं। पंजाब में अब नहरी पानी की मांग बढ़ने लगी है। पंजाब में वर्तमान पानी की मांग 18,000 क्यूसेक तक पहुंच गई है और धान के सीजन के दौरान यह मांग दोगुनी होने की संभावना है। इसके अलावा बांधों में पानी भरने का दौर भी 21 मई से शुरू हो रहा है जो 20 सितंबर तक चलेगा और इस दौरान आमतौर पर मांग के आधार पर राज्यों को पानी मुहैया कराया जाता है।
बीबीएमबी ने 14 मई को बैठक बुलाई
जल विवाद के बीच बीबीएमबी ने 14 मई को तीनों राज्यों की बैठक बुलाई है। तकनीकी समिति की यह बैठक शाम को बीबीएमबी मुख्यालय में होगी, जिसमें केंद्रीय जल आयोग के मुख्य अभियंता भी भाग लेंगे। बैठक में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की जून माह में पानी की मांग पर चर्चा की जाएगी तथा इस मांग के आधार पर बीबीएमबी जून माह के लिए पानी का आवंटन करेगा।