जल विवाद पर भाजपा के खिलाफ राजनीतिक दलों का राजनीतिक दुष्प्रचार उजागर - केंथ

पटियाला/नाभा, 3 मई: भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा अगले आठ दिनों तक भाखड़ा बांधों से हरियाणा को प्रतिदिन 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने के फैसले ने जल विवाद पर भारतीय जनता पार्टी पंजाब प्रदेश का रुख स्पष्ट कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के उपाध्यक्ष परमजीत सिंह कैंथ ने कहा कि जल विवाद पर आयोजित सर्वदलीय बैठक में भाजपा के खिलाफ किया जा रहा राजनीतिक दुष्प्रचार स्पष्ट हो गया है।

पटियाला/नाभा, 3 मई: भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा अगले आठ दिनों तक भाखड़ा बांधों से हरियाणा को प्रतिदिन 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने के फैसले ने जल विवाद पर भारतीय जनता पार्टी पंजाब प्रदेश का रुख स्पष्ट कर दिया है।
भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के उपाध्यक्ष परमजीत सिंह कैंथ ने कहा कि जल विवाद पर आयोजित सर्वदलीय बैठक में भाजपा के खिलाफ किया जा रहा राजनीतिक दुष्प्रचार स्पष्ट हो गया है।
पंजाब की राजनीतिक पार्टियां राजनीतिक लाभ कमाने की कोशिश तो करती हैं लेकिन पंजाब के मुद्दों पर ढीला रवैया अपनाती हैं। भाजपा नेता सरदार कैथ ने कहा कि बीबीएमबी, जो भाखड़ा, पोंग और रणजीत सागर बांधों से पानी के वितरण की देखरेख करता है, का गठन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत किया गया था।
बीबीएमबी का मुख्य कार्य पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ को पानी और बिजली की आपूर्ति को विनियमित करना है। ऐसा गतिरोध पहले कभी नहीं हुआ तथा बीबीएमबी में कार्यरत सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों ने कहा कि पहले भी कई बार मतभेद हुए थे तथा मामलों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया था। लेकिन अब इस मुद्दे पर चर्चा करने के बजाय राजनीति हो रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की धारा 79 और धारा 80 के तहत गठित एक सांविधिक निकाय, बीबीएमबी का नेतृत्व एक चेयरमैन करता है तथा इसके दो पूर्णकालिक सदस्य होते हैं, जिनमें से एक सदस्य (सिंचाई) हरियाणा से नामित होता है, तथा एक सदस्य (विद्युत) पंजाब से नामित होता है।
कश्मीर के पहलगाम की बेसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जिसमें 28 भारतीय नागरिक मारे गए थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हाल ही में लिए गए सिंधु जल संधि को निरस्त करने जैसे निर्णय से पंजाब को बहुत लाभ होगा, क्योंकि अब जल विवाद की कोई समस्या नहीं रहेगी।