
आईटीआई के विद्यार्थियों ने पहलगाम के शहीदों को दी श्रद्धांजलि
गढ़शंकर, 25 अप्रैल- आज पंजाब विद्यार्थी संघ के नेतृत्व में सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बगवाई में पहलगाम में मारे गए 26 निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए विरोध प्रदर्शन किया गया। पंजाब विद्यार्थी संघ के जिला सचिव राजू बरनाला और आईटीआई कमेटी सदस्य समीर ने हत्याओं की निंदा करते हुए कहा कि पहलगाम में धार्मिक रूप से प्रेरित सामूहिक हत्याएं, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए, एक बहुत ही जघन्य, क्रूर और निंदनीय कृत्य है, हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।
गढ़शंकर, 25 अप्रैल- आज पंजाब विद्यार्थी संघ के नेतृत्व में सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बगवाई में पहलगाम में मारे गए 26 निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए विरोध प्रदर्शन किया गया। पंजाब विद्यार्थी संघ के जिला सचिव राजू बरनाला और आईटीआई कमेटी सदस्य समीर ने हत्याओं की निंदा करते हुए कहा कि पहलगाम में धार्मिक रूप से प्रेरित सामूहिक हत्याएं, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए, एक बहुत ही जघन्य, क्रूर और निंदनीय कृत्य है, हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।
यह किसी भी धर्म या किसी स्वतंत्रता संग्राम के हित में नहीं है। सभी को इसकी कड़ी निंदा करनी चाहिए। यह संतोष की बात है कि कश्मीर में लोग, खासकर मुसलमान, इस जघन्य कृत्य के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी जांच के अनुसार, अब तक चार बड़ी सामूहिक हत्याएं हुई हैं। अब यह पहलगाम सामूहिक हत्या हुई है। इन तीनों में दो चीजें समान हैं। एक तो इन सभी में एक खास समूह को निशाना बनाया गया, छत्तीसगढ़ पुरा में सिख, पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस और पहलगाम में हिंदू।
दूसरे, ये सभी एक खास घटना से जुड़े हैं। छत्तीसगढ़ पुरा की घटना तब हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत आए थे, कालूचक की घटना भी उनके अमेरिका दौरे के दौरान हुई, पुलवामा की घटना तब हुई जब देश में चुनाव होने वाले थे और पहलगाम की घटना तब हुई जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर आए थे। दूसरा अलग पहलू यह है कि यह घटना तब हुई जब मोदी सरकार द्वारा पारित वक्फ संशोधन अधिनियम का देशभर में कड़ा विरोध हो रहा था।
ये सभी बातें इसे संदिग्ध बनाती हैं। इसलिए इसकी उच्चस्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए। मीडिया में जिम्मेदारी के बयान मायने नहीं रखते। मणिपुर में लंबे समय से खून-खराबा हो रहा है। ऐसी कई घटनाएं हुई हैं लेकिन न तो अमित शाह और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर जाने की जहमत उठाई लेकिन यहां अमित शाह कश्मीर में आकर बैठ गए और मोदी सऊदी अरब की अपनी यात्रा छोड़कर वापस लौट गए।
संघीय फासीवाद की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नीति देश और लोगों को खून-खराबे और विनाश के अलावा कुछ नहीं दे सकती। छात्रों ने मांग की है कि पहलगाम हमले की उच्च स्तरीय जांच हो, केंद्र सरकार पीड़ित परिवारों को मुआवजा दे, लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और सांप्रदायिकता की राजनीति बंद करे।इस अवसर पर आईटीआई के छात्र कपिल शर्मा, करण सिंह, प्रदीप कुमार, अंकुश राणा, हर्ष कुमार, हरमनजोत, विजय कुमार, धर्मप्रीत, कनिश, गगन, अमन आदि मौजूद रहे।
