21 अप्रैल को ग़दर पार्टी के स्थापना दिवस के अवसर पर शुरू किया जा रहा 'विरसा' भविष्य में बहुमूल्य संवाद को जन्म देगा

जालंधर- देश भगत यादगार कमेटी की इतिहास उप-समिति ने अपने रचनात्मक कार्यों में शोध-समृद्ध सामग्री को शामिल करके समिति की पत्रिका 'विरसा' में एक महत्वपूर्ण कार्य किया है, जिस पर आत्म-चिंतन के तीखे सवालों का सामना करके गंभीर संवाद को जन्म देने तथा उपेक्षित एवं अमूल्य इतिहास को प्रकाश में लाने की आवश्यकता है।

जालंधर- देश भगत यादगार कमेटी की इतिहास उप-समिति ने अपने रचनात्मक कार्यों में शोध-समृद्ध सामग्री को शामिल करके समिति की पत्रिका 'विरसा' में एक महत्वपूर्ण कार्य किया है, जिस पर आत्म-चिंतन के तीखे सवालों का सामना करके गंभीर संवाद को जन्म देने तथा उपेक्षित एवं अमूल्य इतिहास को प्रकाश में लाने की आवश्यकता है। 
उक्त शब्द देश भगत यादगार कमेटी के अध्यक्ष अजमेर सिंह, महासचिव पृथीपाल सिंह मरीमेघा तथा सांस्कृतिक विंग के संयोजक अमोलक सिंह ने व्यक्त करते हुए कहा कि यह विरसा बुलेटिन 21 अप्रैल को ग़दर पार्टी के स्थापना दिवस के अवसर पर शुरू किया जाएगा।
 विरसा बुलेटिन के पन्नों में पाठकों को पढ़ने और अध्ययन करने के लिए महत्वपूर्ण सामग्री मिलेगी, जैसे कि 'चौरा चौरी विद्रोह की अनछुई कहानियां', 'पिछड़े वर्गों के ग़दरी बाबा', 'मई दिवस', 'अमेरिका से काला सांप', 'हिंदू-मुस्लिम एकता', 'ग़दर पार्टी और धार्मिक विवाद' और 'हमने अलग देश के लिए लड़ाई नहीं लड़ी'। प्रेस नोट में हरविंदर भंडाल (संपादक), चरंजी लाल कंगनीवाल (सह-संपादक), विजय बम्बली (सह संपादक) को बहुत बधाई दी गई है और पाठकों को विश्वास दिलाया गया है कि देश भगत यादगार कमेटी भविष्य में भी इस तरह की पहल जारी रखेगी। 
यह भी उल्लेखनीय है कि इसके अलावा बलदेव सिंह निहालगढ़, सतनाम सिंह अजनाला, जोगिंदर सिंह उगराहां, रमिंदर सिंह पटियाला और बलबीर सिंह राजेवाल भी 'नई मंडी और कृषि नीति' पर गंभीर चर्चा करने के लिए उच्च पदों पर पहुंचे हैं। समिति के वित्त सचिव सीतल सिंह संघा ग़दर पार्टी का झंडा फहराएंगे। इस मुद्दे के अलावा, राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर ज्वलंत मुद्दों पर प्रस्ताव भी कार्यक्रम की मंजूरी के लिए रखे जाएंगे।