
किसान संगठनों और राष्ट्रीय न्याय मोर्चा ने एक संयुक्त बैठक की।
चंडीगढ़, 17 अप्रैल - राष्ट्रीय न्याय मोर्चा द्वारा चंडीगढ़ की सीमाओं पर पिछले 30 महीनों से चलाए जा रहे संघर्ष के समर्थन में किसान भवन में विभिन्न धार्मिक हस्तियों, किसान यूनियनों, मजदूर यूनियनों, व्यापारिक संगठनों और पंथक संगठनों की एक संयुक्त बैठक हुई। बैठक के दौरान राष्ट्रीय न्याय मोर्चा के प्रमुख नेता प्रोफेसर मनजीत सिंह, पूर्व जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब, बाबा सेवा सिंह रामपुर खेड़ा, बाबा गुरसेवक सिंह इहानी साहिब, बापू गुरचरण सिंह, पाल सिंह फ्रांस, गुरदीप सिंह बठिंडा, निहंग सिंह राजा राज सिंह, बलविंदर सिंह फिरोजपुर, किसान नेता डॉ. दर्शन पाल सिंह, बलवीर सिंह राजेवाल, सुरजीत सिंह फूल, सतनाम सिंह बेहरू, जसबीर सिंह सिधूपुर, रेशम सिंह कादियान, श्रमिक नेता तरसेम योद्धाका भी शामिल हुए।
चंडीगढ़, 17 अप्रैल - राष्ट्रीय न्याय मोर्चा द्वारा चंडीगढ़ की सीमाओं पर पिछले 30 महीनों से चलाए जा रहे संघर्ष के समर्थन में किसान भवन में विभिन्न धार्मिक हस्तियों, किसान यूनियनों, मजदूर यूनियनों, व्यापारिक संगठनों और पंथक संगठनों की एक संयुक्त बैठक हुई। बैठक के दौरान राष्ट्रीय न्याय मोर्चा के प्रमुख नेता प्रोफेसर मनजीत सिंह, पूर्व जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब, बाबा सेवा सिंह रामपुर खेड़ा, बाबा गुरसेवक सिंह इहानी साहिब, बापू गुरचरण सिंह, पाल सिंह फ्रांस, गुरदीप सिंह बठिंडा, निहंग सिंह राजा राज सिंह, बलविंदर सिंह फिरोजपुर, किसान नेता डॉ. दर्शन पाल सिंह, बलवीर सिंह राजेवाल, सुरजीत सिंह फूल, सतनाम सिंह बेहरू, जसबीर सिंह सिधूपुर, रेशम सिंह कादियान, श्रमिक नेता तरसेम योद्धाका भी शामिल हुए।
बैठक में राष्ट्रीय न्याय मोर्चा की तीन मांगें रखी गईं: श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के दोषियों को कड़ी सजा दी जाए तथा कानून बनाया जाए, सजा पूरी कर चुके जेलों में बंद सिखों को रिहा किया जाए तथा बहबल कोटकपूरा गोलीकांड के दोषियों को सजा दी जाए। वक्ताओं ने कहा कि इन मांगों को लेकर किसी विरोध प्रदर्शन या याचिका की जरूरत नहीं है और ये सरकार के मूल कर्तव्य हैं।
वक्ताओं ने कहा कि पंजाब सरकार सरासर झूठ बोल रही है कि यह मामला सिर्फ केंद्र सरकार का है, जबकि पंजाब सरकार जत्थेदार जगतार सिंह हवारा, स. बलवंत सिंह राजोआना, परमजीत सिंह भियोरा व अन्य की रिहाई व पैरोल के विरोध में उच्च न्यायालयों व केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेज रही है। सरकार बहबल गोलीकांड मामले में गठित एसआईटी की रिपोर्ट को भी लागू नहीं कर रही है तथा पिछली सरकारों की राह पर चलते हुए बेअदबी के दोषियों को संरक्षण दे रही है।
वक्ताओं ने कहा कि पंजाब सरकार जेल में बंद सिखों को पैरोल देकर उनकी रिहाई की सिफारिश केंद्र सरकार से कर सकती है, लेकिन सरकार इस दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है। सरकार 30 महीने से चल रहे राष्ट्रीय न्याय मोर्चा की बात भी सुनने को तैयार नहीं है। यह सरकार की तानाशाही और अहंकार का प्रतीक है।
इस अवसर पर कहा गया कि सरकार के रवैये के खिलाफ 15 मई को पंजाब की सभी तहसीलों में रोष मार्च निकाले जाएंगे तथा पंजाब के राज्यपाल व देश के राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को चेतावनी पत्र दिए जाएंगे। बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा किसान संगठनों को बैठक में बुलाकर उन्हें गिरफ्तार करने की कार्रवाई की निंदा की गई तथा कहा गया कि किसानों पर सड़कें व रास्ते अवरुद्ध करने का लगाया गया आरोप पूरी तरह से गलत है, जबकि रास्ते हरियाणा सरकार ने अवरुद्ध किए हैं।
वक्ताओं ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से हो रहे आंदोलन पर पुलिस ने विदेशी आक्रांताओं की तरह हमला किया और किसानों का सामान लूटा और लूटवाया। पंजाब के लोगों को इसका कड़ा विरोध करना चाहिए और सरकार को किसानों को उनके नुकसान की पूरी भरपाई करनी चाहिए। बैठक में मांग की गई कि जिस तरह देश के अन्य राज्यों में पाकिस्तान के साथ व्यापार चल रहा है, उसी तरह पंजाब से सटे व्यापारिक मार्ग भी खोले जाने चाहिए।
इस मौके पर सुखजीत सिंह खोसा, रविंदर सिंह वजीदपुर, बलविंदर सिंह काला झाड़, बूटा सिंह रणसिंह, एडवोकेट हरप्रीत सिंह संधू, एडवोकेट गुरचरण सिंह, इकबाल सिंह दिल्ली, दलजीत सिंह, हरि सिंह अकाल फौज, करमजीत सिंह नंबरदार चीला, पाल सिंह घरुआं, गुरदीप सिंह भट्टी किसान मजदूर नेता, मनोज शेखावत खाप पंचायत, सुख गिल मोगा प्रदेश अध्यक्ष बीकेयू तोतेवाल, बलबीर सिंह बैरमपुर, बलजीत सिंह भाऊ, राजा सिंह जाट महासभा सहित अन्य नेता मौजूद रहे।
