
नकदी विवाद: न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लिया गया: दिल्ली उच्च न्यायालय।
नई दिल्ली, 24 मार्च - दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को घोषणा की कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा, जिनके आधिकारिक आवास में कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद आग लग गई थी, का न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक वापस ले लिया गया है। यह घोषणा उच्च न्यायालय द्वारा जारी एक नोट में की गई। उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर दिन की वाद सूची से जुड़े एक अन्य नोट में कहा गया है कि न्यायमूर्ति वर्मा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच-III के कोर्ट मास्टर. आज से पहले सूचीबद्ध मामलों में तारीखें दी जाएंगी।
नई दिल्ली, 24 मार्च - दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को घोषणा की कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा, जिनके आधिकारिक आवास में कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद आग लग गई थी, का न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक वापस ले लिया गया है। यह घोषणा उच्च न्यायालय द्वारा जारी एक नोट में की गई। उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर दिन की वाद सूची से जुड़े एक अन्य नोट में कहा गया है कि न्यायमूर्ति वर्मा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच-III के कोर्ट मास्टर. आज से पहले सूचीबद्ध मामलों में तारीखें दी जाएंगी।
इसमें कहा गया, ‘हालिया घटनाओं के मद्देनजर माननीय न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक वापस लिया जाता है।’ एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की जांच रिपोर्ट (फोटो और वीडियो) अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी। न्यायमूर्ति उपाध्याय की मुख्य न्यायाधीश को सौंपी गई रिपोर्ट में आधिकारिक संचार से संबंधित सामग्री शामिल है। जिसमें कहा गया है कि जज के लुटियंस दिल्ली स्थित घर से “भारतीय मुद्रा नोटों से भरे चार से पांच आधे खाली बैग” पाए गए।
न्यायमूर्ति वर्मा ने नोट-तलाशी विवाद में आरोपों की कड़ी निंदा की है और कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा घर के स्टोर रूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को दिए अपने जवाब में न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा है कि उनके आवास से नकदी प्राप्त करने का आरोप स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होता है।
