भाकपा माले ने पहलगाम के पीड़ितों को दी श्रद्धांजलि -शहर में प्रदर्शन कर अमित शाह के इस्तीफे की मांग की

नवांशहर 23 अप्रैल-भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) न्यू डेमोक्रेसी जिला शहीद भगत सिंह नगर ने आज स्थानीय बारादरी बाग में पहलगाम में मारे गए 26 निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि दी और फिर इस घटना के खिलाफ शहर में प्रदर्शन किया। पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है।

नवांशहर 23 अप्रैल-भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) न्यू डेमोक्रेसी जिला शहीद भगत सिंह नगर ने आज स्थानीय बारादरी बाग में पहलगाम में मारे गए 26 निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि दी और फिर इस घटना के खिलाफ शहर में प्रदर्शन किया। पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है। 
इस अवसर पर इस हत्या की निंदा करते हुए पार्टी नेता कुलविंदर सिंह वड़ैच, दलजीत सिंह एडवोकेट ने कहा कि पहलगाम में धर्म आधारित सामूहिक हत्याकांड, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई है और कई अन्य घायल हुए हैं, एक अत्यंत जघन्य, क्रूर और निंदनीय कृत्य है, हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। यह किसी भी धर्म या किसी स्वतंत्रता संग्राम के हित में नहीं है। 
सभी को इसकी कड़ी निंदा करनी चाहिए। यह संतोष की बात है कि कश्मीर में लोग, खासकर मुसलमान, इस जघन्य कृत्य के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी जांच के अनुसार अब तक चार बड़ी सामूहिक हत्याएं हुई हैं। अब पहलगाम सामूहिक हत्याकांड हुआ है। इन तीनों में दो बातें समान हैं। एक तो इन सभी में एक खास वर्ग को निशाना बनाया गया, छत्तीसगढ़ पुरा में सिख, पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस और पहलगाम में हिंदुओं को निशाना बनाया गया है। दूसरे ये सभी एक खास घटना से जुड़े हैं। 
छत्तीसगढ़ पुरा की घटना तब हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत आए थे, कालूचक की घटना भी उनके अमेरिकी दौरे के दौरान हुई, पुलवामा की घटना तब हुई जब देश में चुनाव होने वाले थे और पहलगाम की घटना तब हुई जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर आए हुए थे। दूसरा पहलू यह है कि यह घटना तब हुई जब मोदी सरकार द्वारा पारित वक्फ संशोधन अधिनियम का देशभर में कड़ा विरोध हो रहा था। ये सभी बातें इसे संदिग्ध बनाती हैं। इसलिए इसकी उच्चस्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए। मीडिया में जिम्मेदारी के बयान मायने नहीं रखते। मणिपुर लंबे समय से रक्तपात से पीड़ित है। 
ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन न तो अमित शाह और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर जाने की जहमत उठाई, लेकिन यहां तो अमित शाह कश्मीर में आकर बैठ गए और मोदी सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में छोड़कर वापस लौट आए। संघीय फासीवाद की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नीति देश और लोगों को खून-खराबे और विनाश के अलावा कुछ नहीं दे सकती। लोगों को इसके खिलाफ डटकर लड़ना होगा।