जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, घड़ुआं में ‘कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम’ पर सेमिनार आयोजित किया

साहिबजादा अजीत सिंह नगर, 7 मार्च, 2025: श्री अतुल कसाना, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, एसएएस नगर के मार्गदर्शन में, “महिला दिवस” के अवसर पर, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, एसएएस नगर ने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, घड़ुआं में ‘कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम (पीओएसएच)’ पर सेमिनार आयोजित किया, ताकि महिला श्रमिकों को उनके कार्यस्थल पर होने वाली समस्याओं पर चर्चा की जा सके।

साहिबजादा अजीत सिंह नगर, 7 मार्च, 2025: श्री अतुल कसाना, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, एसएएस नगर के मार्गदर्शन में, “महिला दिवस” के अवसर पर, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, एसएएस नगर ने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, घड़ुआं में ‘कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम (पीओएसएच)’ पर सेमिनार आयोजित किया, ताकि महिला श्रमिकों को उनके कार्यस्थल पर होने वाली समस्याओं पर चर्चा की जा सके।
सुश्री सुरभि पराशर, सीजेएम-सह-सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, एसएएस नगर ने बताया कि पंजाब राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, एसएएस नगर ने 01.03.2025 से 31.03.2025 तक एक महीने का अभियान “कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा” शुरू किया है। इस अभियान के तहत उन्होंने संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों को पीओएसएच अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के बारे में अवगत कराया तथा विशाखा एवं अन्य बनाम राजस्थान राज्य मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के बारे में चर्चा की। 
उन्होंने ऑरेलियानो फर्नांडीस बनाम गोवा राज्य एवं अन्य मामले में दिए गए महत्वपूर्ण फैसले पर भी चर्चा की, जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि अपीलकर्ता ने राजनीति विज्ञान विभाग में अस्थायी व्याख्याता के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था। उन्हें उक्त विभाग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
हालांकि, दो छात्राओं ने अपने दोस्तों के साथ विश्वविद्यालय में एक शिकायत प्रस्तुत की, जिसमें उनके हाथों शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाया गया। अपीलकर्ता ने संकाय सदस्यों की मिलीभगत से कुछ मनचले छात्रों द्वारा उनके खिलाफ एक सुनियोजित साजिश का आरोप लगाया।
 जबकि, शिकायत समिति ने 18 बैठकों के बाद रिपोर्ट दी कि यौन उत्पीड़न का आरोप स्थापित हो चुका है और अपीलकर्ता का यह कृत्य भी गंभीर कदाचार और आचरण नियम के नियम 3(1)(III) का घोर उल्लंघन है और इस प्रकार, इसने उनकी सेवाएं समाप्त करने की सिफारिश की। न्यायालय ने माना कि समिति ने इस मूलभूत सिद्धांत की पूरी तरह से अनदेखी की है कि न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि यह भी दिखना चाहिए कि न्याय किया गया है। ऑडी अल्टरम पार्टम के सिद्धांतों को इस तरह से हवा में नहीं उड़ाया जा सकता था। 
यौन उत्पीड़न में सहकर्मियों का आचरण भी शामिल है जो मौखिक या शारीरिक रूप से उत्पीड़न करने वाला व्यवहार करते हैं, यौन प्रस्ताव, रोजगार, पदोन्नति या परीक्षा के बदले में स्पष्ट रूप से या निहित रूप से यौन एहसान के लिए अनुरोध या मांग, ईव टीजिंग, कार्यालय के बाहर मिलने के लिए अवांछित निमंत्रण, अश्लील टिप्पणियां या मजाक, किसी की इच्छा के विरुद्ध शारीरिक कारावास और किसी की निजता में दखल देना आदि जो किसी कर्मचारी या कंपनी को अपमानित या शर्मिंदा करने की क्षमता रखते हैं। 
उन्होंने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में विस्तार से बताया और उन्होंने उत्पीड़क से सीधे निपटने, ऐसा दिखावा न करने जैसे विभिन्न सुझाव देकर दर्शकों का मार्गदर्शन किया कि ऐसा हुआ ही नहीं, कथित उत्पीड़क को तुरंत सूचित करें कि व्यवहार अवांछनीय है, उत्पीड़न को रोकने की मांग करें। 
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, घड़ूआं के विधि संकाय के विभागाध्यक्ष श्री नवनीत चहल और विधि संकाय की सहायक प्रोफेसर डॉ. रेणु महाजन भी इस अवसर पर उपस्थित थे और उन्होंने महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं को बधाई दी।