
किला ब्रून में मनरेगा कार्य शुरू करवाने के लिए मनरेगा मजदूर आंदोलन और मेट व सरपंच के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अतिरिक्त उपायुक्त (विकास) से मिला।
होशियारपुर- संवैधानिक पदों पर बैठे सभी अधिकारियों और जनता की चुनी हुई सरकारों का काम है कि वे मनरेगा एक्ट 2005 को पूर्ण रूप से लागू करवाएं। गांव किला ब्रून में मनरेगा कार्य के क्रियान्वयन को लेकर मनरेगा मजदूर आंदोलन की अगुआई में प्रधान जय गोपाल धीमान, मनरेगा मेट चरणजीत कौर और सरपंच ग्राम पंचायत हरजिंदर कौर ने अतिरिक्त उपायुक्त और अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक से मुलाकात की और उन्हें बताया कि गांव में पिछले कुछ समय से काम बंद पड़ा है, जबकि गांव में विकास कार्य करवाने वाले कई लोग हैं।
होशियारपुर- संवैधानिक पदों पर बैठे सभी अधिकारियों और जनता की चुनी हुई सरकारों का काम है कि वे मनरेगा एक्ट 2005 को पूर्ण रूप से लागू करवाएं। गांव किला ब्रून में मनरेगा कार्य के क्रियान्वयन को लेकर मनरेगा मजदूर आंदोलन की अगुआई में प्रधान जय गोपाल धीमान, मनरेगा मेट चरणजीत कौर और सरपंच ग्राम पंचायत हरजिंदर कौर ने अतिरिक्त उपायुक्त और अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक से मुलाकात की और उन्हें बताया कि गांव में पिछले कुछ समय से काम बंद पड़ा है, जबकि गांव में विकास कार्य करवाने वाले कई लोग हैं।
उन्होंने कहा कि मनरेगा एक एक्ट है, यानी कानून है। कई बार देखा गया है कि निचले स्तर पर राजनीतिक दबाव के कारण निचले स्तर पर युवा आदेश जारी कर दिए जाते हैं, जिससे पूरी स्थिति उलझ जाती है। धीमान ने कहा कि मनरेगा अधिनियम 2005 की सभी धाराओं का व्यवहार में क्रियान्वयन नहीं हो रहा है, जिससे परेशानी हो रही है। इसका खामियाजा गरीब मनरेगा मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है।
कितने दुख की बात है कि मनरेगा को लेकर पिछले 20 वर्षों में बनाए गए नियमों का क्रियान्वयन नहीं हो रहा है और न ही ब्लॉक स्तर के अधिकारी इन्हें लागू करने में कोई रुचि दिखा रहे हैं। नियमों के अनुसार मनरेगा मजदूरों को कार्य स्थल पर छाया, पेयजल आदि की व्यवस्था करनी होती है। प्राथमिक उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए।
आमतौर पर गांवों में ग्राम रोजगार सेवक व सहायक परियोजना अधिकारी आसानी से खेतों में जाकर काम करवा सकते हैं। लेकिन रुचि न होने के कारण सब कुछ पैदल ही चल रहा है। हमारे ध्यान में यह भी लाया गया कि प्रत्येक पंचायत सदस्य अपने चहेतों को खुश रखकर काम करवाने को प्राथमिकता देना चाहता है, लेकिन इसके विपरीत अधिनियम में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रत्येक मजदूर को बिना किसी भेदभाव के 100 दिन का गारंटीशुदा काम दिया जाना है। जबकि कानून से ऊपर कोई नहीं है।
लेकिन खेतों में अभी भी कई चौधरी अलोकतांत्रिक तरीके अपनाकर अत्याचार कर रहे हैं। धीमान ने कहा कि पंजाब सरकार एक्ट को लागू न करके पंजाब के गांवों के विकास को नुकसान पहुंचा रही है और आवंटित बजट का कोई लाभ नहीं उठाया जा रहा है। यह कितनी हास्यास्पद बात हो गई है कि मनरेगा के काम को लड़ाई-झगड़े और विवादों में बदल दिया जा रहा है।
यह लाभ चंद भ्रष्ट लोगों की जेबों में जा रहा है। इससे भी बड़ी बात यह है कि उच्च अधिकारियों का स्टाफ भी बहुत कम कर दिया गया है, जिससे पूरा ताना-बाना उलझ गया है। यही कारण है कि काम समय पर पूरे नहीं हो रहे हैं। कई बार अधिकारियों को खाने का समय नहीं मिलता और वे गांवों में आम लोगों तक कब पहुंचेंगे। मनरेगा के काम में ब्लॉक स्तर के अधिकारियों की मनमर्जी के कारण भी मनरेगा के पैसे का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
यही कारण है कि मनरेगा मजदूरों को 100 दिन के गारंटीशुदा काम का हक भी अवरुद्ध हो रहा है। धीमान ने सरकार से मांग की कि गांव किला ब्रून में प्राथमिकता के आधार पर काम करवाया जाए। इस मौके पर हरभजन कौर, गुरदीप सिंह (पंच), सुखवीर सिंह, गुरनाम सिंह सिंगरीवान, तरसेम लाल, मनजीत लाल, योगराज, गुलशन कुमार, उषा रानी, लक्ष्मी देवी, मोहिंदर कौर और सुनीता आदि मौजूद थे।
