मानव अधिकार एवं कर्तव्य केंद्र, पीयू में डीएवाई-एनयूएलएम, एमसी, चंडीगढ़ की 150 महिला कार्यकर्ताओं के लिए तीन दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला संपन्न हुई

चंडीगढ़, 27 फरवरी 2025- मानव अधिकार एवं कर्तव्य केंद्र, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ ने दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), नगर निगम, चंडीगढ़ के अंतर्गत क्षेत्रीय संघ/शहर स्तरीय संघ के कार्यकर्ताओं के लिए तीन दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला 24 फरवरी, 2025 को शुरू हुई और आज यहां संपन्न हुई।

चंडीगढ़, 27 फरवरी 2025- मानव अधिकार एवं कर्तव्य केंद्र, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ ने दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), नगर निगम, चंडीगढ़ के अंतर्गत क्षेत्रीय संघ/शहर स्तरीय संघ के कार्यकर्ताओं के लिए तीन दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला 24 फरवरी, 2025 को शुरू हुई और आज यहां संपन्न हुई।
कार्यशाला में 150 महिलाओं (प्रतिदिन 50 महिलाएं) ने भाग लिया, जिन्होंने नगर निगम, चंडीगढ़ द्वारा संचालित डीएवाई-एनयूएलएम योजना के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बनाए हैं।
सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज की अध्यक्ष और कार्यशाला की संयोजक प्रोफेसर नमिता गुप्ता ने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना और उन्हें सशक्त बनाना है, जिसमें रोजगार सृजन के लिए स्वयं सहायता के महत्व पर विशेष ध्यान दिया गया है। 
कार्यशाला के दौरान महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण, महिला अधिकार और कानूनी सुरक्षा, सामाजिक उद्यमिता और स्वयं सहायता समूहों को कैसे टिकाऊ बनाया जाए, इस पर सत्र आयोजित किए गए। डॉ. मंजूश्री शर्मा ने महिलाओं में शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक स्वास्थ्य की आवश्यकता पर विस्तार से बात की। उन्होंने महिलाओं के शारीरिक विकास के लिए बाजरा जैसे "सुपर-फूड" के उपयोग के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। 
डॉ. उपनीत कौर मांगट ने समाज में प्रचलित घरेलू हिंसा, शारीरिक शोषण, मनोवैज्ञानिक शोषण और मौखिक शोषण पर ध्यान केंद्रित करते हुए महिला अधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर बात की। डॉ. परमजीत सिंह ने मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसी कई सरकारी योजनाओं पर चर्चा की। डॉ. अनु एच. गुप्ता ने उचित ब्रांड नाम के चयन, लोगो के डिजाइन, रंग वरीयता, पैकेजिंग, उत्पाद की लेबलिंग के अलावा मानव मनोविज्ञान को ध्यान में रखते हुए अचूक विपणन रणनीति, मूल्य निर्धारण के महत्व को समझाया।
डॉ. अमीर सुल्ताना ने भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त विभिन्न मूल अधिकारों पर चर्चा की। उन्होंने समाज में भेदभाव को दूर करने के लिए केंद्र-राज्य सरकार द्वारा किए गए कई प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।
महिला स्वयं सहायता समूहों ने बिक्री के लिए छात्र केंद्र में बैग, अगरबत्ती, घर की सजावट के उत्पाद जैसे अपने उत्पाद भी प्रदर्शित किए। कार्यशाला की सह-संयोजक डॉ. मंजुला वर्मा ने कहा कि इस अभ्यास का उद्देश्य उन्हें एक-दूसरे के साथ सहयोग करने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए प्रेरित करना था।