पेक में डिफेन्स अधिकारियों के लिए 5G और ड्रोन तकनीक पर विशेष प्रशिक्षण सत्र का किया गया आयोजन

चंडीगढ़, 24 जनवरी 2025: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ के इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग ने आज "ब्रॉडबैंड पब्लिक प्रोटेक्शन और डिजास्टर रिलीफ" पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत एक खास सत्र का आयोजन किया। यह कार्यक्रम रीजनल पुलिस वायरलेस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, चंडीगढ़ द्वारा नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन टेक्नोलॉजी फॉर इंटरनल सिक्योरिटी (NCETIS),

चंडीगढ़, 24 जनवरी 2025: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ के इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग ने आज "ब्रॉडबैंड पब्लिक प्रोटेक्शन और डिजास्टर रिलीफ" पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत एक खास सत्र का आयोजन किया। यह कार्यक्रम रीजनल पुलिस वायरलेस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, चंडीगढ़ द्वारा नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन टेक्नोलॉजी फॉर इंटरनल सिक्योरिटी (NCETIS), आई आई टी बॉम्बे के सहयोग से आयोजित किया गया। इस सत्र में देशभर के विभिन्न सुरक्षा संगठनों और बलों से आए 56 अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें राज्य पुलिस, सी आर पी एफ़, सेना, एन डी आर एफ़, सी आई एस एफ़, एस एस बी, आई टी बी पी, डी सी पी डब्ल्यू, एल एस ऐ और बी एस एफ़ शामिल थे।
सत्र की शुरुआत पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के माननीय निदेशक (एड इंटरिम) प्रोफेसर राजेश कुमार भाटिया की उपस्थिति में हुई। उनके साथ रीजनल पुलिस वायरलेस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के डिप्टी डायरेक्टर श्री एचएस श्रीहरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. अरुण कुमार सिंह, सहायक प्रोफेसर डॉ. सिमरनजीत सिंह और श्री विवेक कुमार सूद सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे।
सत्र के दौरान प्रतिभागियों को 5G यूज केस लैब, 5G नेटवर्क के साथ इमेज प्रोसेसिंग, ड्रोन का संचालन और उनकी मूवमेंट, और विभिन्न प्रोग्राम्स की मदद से ड्रोन ट्रैकिंग जैसे उन्नत तकनीकी विषयों पर जानकारी दी गई। साथ ही, 5G नेटवर्क्स का उपयोग सैन्य और रक्षा अभियानों में कैसे किया जा सकता है, इस पर भी गहन चर्चा की गई।
प्रोफेसर राजेश कुमार भाटिया ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज की गौरवशाली विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्थान के प्रसिद्ध पूर्व छात्रों, डॉ. कल्पना चावला, डॉ. सतीश चंद्र धवन, और इंजीनियर जसपाल सिंह भट्टी का उल्लेख करते हुए पेक की ऐतिहासिक उपलब्धियों को साझा किया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे पेक ने 1965 के युद्ध के दौरान रक्षा बलों के निर्देशों तहत देश के पहले एयरोस्पेस इंजीनियर तैयार किए।
इसके बाद, प्रोफेसर अरुण कुमार सिंह ने संस्थान की अत्याधुनिक सुविधाओं, जैसे कि 5G यूज केस लैब और सेमीकंडक्टर लैब, के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पेक को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश के 100 चयनित संस्थानों में से एक के रूप में 5G यूज केस लैब प्रदान की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे रक्षा बल ड्रोन का उपयोग अपराधियों के स्थान को ट्रैक करने और लक्ष्य बिंदुओं की पहचान के लिए कर सकते हैं।
डॉ. सिमरनजीत सिंह ने 5G यूज केस लैब की वर्किंग पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने ड्रोन की कार्यप्रणाली और इसके विविध उपयोगों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने एंटेना, तकनीकी सिस्टम, और एआई संचालित कैमरों के प्रदर्शन के माध्यम से यह दिखाया कि 5G नेटवर्क के साथ ये उपकरण कैसे प्रभावी होते हैं।
सत्र के दौरान प्रतिभागियों ने अपने व्यक्तिगत अनुभव भी साझा किए, जिनमें ड्रोन और अन्य तकनीकों का उपयोग जानकारी हासिल करने, खोजबीन करने, और यातायात को नियंत्रित करने जैसे कार्यों में किया गया था।
श्री विवेक कुमार सूद ने नेटवर्क तकनीकों के विकास पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने फ्लॉपी डिस्क और लैंडलाइन फोन से लेकर 5G नेटवर्क तक की यात्रा को काफी रोचक तरीके से प्रस्तुत किया। डॉ. मनदीप ने विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन के उपयोग की विविधताओं पर विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम के अंत में, सत्र अत्यधिक संवादात्मक और प्रेरणादायक रहा। प्रतिभागियों ने नई तकनीकों और उनके उपयोग को लेकर गहरी समझ प्राप्त की और इस ज्ञान को अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में लागू करने का संकल्प भी लिया।