पंजाब के राज्यपाल ने जैन भगवती दीक्षा समारोह में की आध्यात्मिक जीवन की महत्ता पर चर्चा।

डेराबस्सी, (एस ए एस नगर), 21 नवंबर, 2024: पंजाब के राज्यपाल एवं यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक, श्री गुलाब चंद कटारिया ने आज मुबारकपुर में आयोजित भव्य जैन भगवती दीक्षा समारोह में भाग लिया। यह आयोजन मुमुक्षु मनीषा जैन के आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें उन्होंने सांसारिक मोह-माया त्यागकर जैन सिद्धांतों पर आधारित अनुशासित जीवन अपनाने का संकल्प लिया।

डेराबस्सी, (एस ए एस नगर), 21 नवंबर, 2024: पंजाब के राज्यपाल एवं यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक, श्री गुलाब चंद कटारिया ने आज मुबारकपुर में आयोजित भव्य जैन भगवती दीक्षा समारोह में भाग लिया। यह आयोजन मुमुक्षु मनीषा जैन के आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें उन्होंने सांसारिक मोह-माया त्यागकर जैन सिद्धांतों पर आधारित अनुशासित जीवन अपनाने का संकल्प लिया।
     राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा " मैं माननीय मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं, जो मेरे एक बार आग्रह करने पर, अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर इस पावन अवसर पर उपस्थित हुए। यह दर्शाता है कि वे न केवल राज्य की जिम्मेदारियों के प्रति प्रतिबद्ध हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर के प्रति भी गहरी आस्था रखते हैं। उनकी यह उपस्थिति हम सभी के लिए प्रेरणा है।"
      राज्यपाल ने  जैन धर्म के परम पूज्य जपा योगी, तप योगी श्री जिनेश मुनि जी महाराज और डॉ. श्री सुव्रत मुनि जी महाराज जैसे संतों को नमन कर जैन दीक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह सांसारिक मोह का त्याग करने और अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह और अस्तेय जैसे आदर्शों को अपनाने का मार्ग है।
      राज्यपाल ने अपने संबोधन में भगवान महावीर जैन के महान बलिदानों और उनके अद्वितीय योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी शिक्षाएं और सिद्धांत आज भी हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के त्याग और तपस्या के कारण जैन धर्म पिछले 2500 वर्षों से अपनी परंपराओं और मूल्यों के साथ जीवंत है।
      राज्यपाल ने जैन धर्म में उपवास की परंपरा पर विशेष जोर दिया और इसे आत्मशुद्धि और आत्मसंयम का एक महत्वपूर्ण साधन बताया। उन्होंने कहा कि उपवास न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करता है, और यह हमें संयम, सहनशीलता और अनुशासन का महत्व सिखाता है।
     राज्यपाल ने भगवान महावीर द्वारा बताए गए पंच महाव्रतों—अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह—का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अहिंसा हमें किसी भी जीव को मन, वचन और कर्म से नुकसान न पहुंचाने की शिक्षा देती है, सत्य सच्चाई को अपनाने और पालन करने का संदेश देता है, अस्तेय बिना अनुमति के किसी की वस्तु न लेने की सीख देता है, ब्रह्मचर्य इंद्रियों पर नियंत्रण की आवश्यकता बताता है और अपरिग्रह आवश्यकता से अधिक चीजें न इकट्ठा करने की प्रेरणा देता है।
     राज्यपाल ने कहा कि पंच महाव्रत हमें यह समझाते हैं कि जीवन का वास्तविक उद्देश्य केवल भौतिक सुख-सुविधाओं में नहीं है, बल्कि आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति में है। भगवान महावीर की शिक्षाएं न केवल जैन समाज के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं।
     श्री कटारिया ने कहा, "जैन धर्म में दीक्षा केवल बाहरी त्याग नहीं, बल्कि आंतरिक जागरण का प्रतीक है। यह आत्मा को उसके सच्चे उद्देश्य और परमात्मा से जोड़ने का एक पवित्र कदम है। भगवान महावीर की शिक्षाएं और पंच महाव्रत हमें शांति, करुणा और आध्यात्मिक संतोष से भरपूर जीवन की ओर प्रेरित करते हैं।"
      भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा करते हुए, राज्यपाल ने समाज के नैतिक और आध्यात्मिक ढांचे को मजबूत करने में संतों और ऋषियों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने जैन दर्शन और भारतीय परंपरा में ध्यान, तप और आत्मसंयम के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि ये शिक्षाएं आज के सामाजिक तनाव और संघर्षों को दूर करने में अत्यंत प्रासंगिक हैं।
     राज्यपाल कटारिया ने सदियों से जैन आचार्यों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय संस्कृति को अमूल्य और शाश्वत मूल्यों से समृद्ध किया। उन्होंने कहा कि जैन धर्म के सिद्धांत, जैसे अहिंसा, अनेकांतवाद और अपरिग्रह, न केवल व्यक्ति को बल्कि समाज को भी एक संतुलित और सामंजस्यपूर्ण दिशा प्रदान कर सकते हैं।
     जैन धर्म के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने मुमुक्षु मनीषा जैन को आशीर्वाद दिया और उन्हें प्रेरित किया कि वे गुरुणी जी के मार्गदर्शन में आध्यात्मिक पथ पर दृढ़ता से आगे बढ़ें और जैन धर्म के संदेश को फैलाने में योगदान दें।
राज्यपाल ने मुबारकपुर श्री संघ और उसके सदस्यों को इस भव्य दीक्षा महोत्सव के आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने जैन समुदाय को शुभकामनाएं दीं और भगवान महावीर की शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सार्थक बनाने का आह्वान किया।
समारोह का समापन राज्यपाल की ओर से मुमुक्षु मनीषा जैन के आध्यात्मिक प्रगति और जैन धर्म के गहन सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए की गई प्रार्थना के साथ हुआ।