संपादकीय

संपादकीय

वर्तमान युग में सोशल मीडिया हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है| अपने व्यस्त दैनिक जीवन में, हम समाचार पत्र, रेडियो और टेलीविजन जैसे पारंपरिक प्रचार और प्रसार माध्यमों के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं| इस समय हर वर्ग में सूचना का सबसे लोकप्रिय साधन सोशल मीडिया, अखबार, हाथ में मोबाइल फोन या सामने कंप्यूटर बन गया है। हमारे छोटे से मोबाइल फोन पर दुनिया भर की खबरें पल-पल आ रही हैं| लेकिन ये जरूरी नहीं कि हर खबर 100 फीसदी सच्ची और भरोसेमंद हो| इसी दुविधा को ध्यान में रखते हुए मेरे मन में भी विचार आया कि क्यों न एक ऐसा विश्वसनीय माध्यम शुरू किया जाए। और इसी सोच से उपजे मेरे और मेरे कुछ साथियों के प्रयास का नाम है "पेगम-ए-जगत"। आज के भौतिकवादी युग में हम अपने बुजुर्गों को भूलते जा रहे हैं जगह-जगह खोले गए "वृद्धाश्रम" हमारी आत्मकेन्द्रित सोच और कर्तव्य के प्रति उदासीनता का परिणाम हैं। आज रिश्तों के मायने बदल गए हैं।  एक समय था जब हर काम की शुरुआत बड़ों की सलाह से ही  जाती थी घर में कोई भी निर्णय बड़ों की सहमति के बिना संभव नहीं था। बड़े और संयुक्त परिवारों में बच्चे आसानी से बड़े हो जाते थे और घर सुरक्षित रहता था। कम से कम हमारी पीढ़ी के लोग दादा-दादी और नाना-नानी के प्यार को कभी नहीं भूल सकते। मेरे इस संदेश का उद्देश्य मेरे दादा स्वर्गीय जगत राम जी की स्मृति को जीवित रखना है। मेरा प्रयास रहेगा कि मैं अपने पाठकों को साची की निष्पक्ष खबरें दे सकूं। हमारा लक्ष्य वित्तीय लाभ प्राप्त करना नहीं है, अपितु अन्य चैनलों और मीडिया के बीच विचरण कर कर के विशिष्ट स्थान बनाना है। हम अपने पाठकों से हर तरह के सहयोग और उचित मार्गदर्शन की अपेक्षा करते हैं। मेरे प्रयास की बेहतरी के लिए आप अपने सुझाव ई-मेल पते reports@paigamejagat.com पर भेज सकते हैं। हमें इंतज़ार रहेगा
जय हिन्द

देविंदर कुमार