पंजाब विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस पर 'वर्तमान में हिंदी पत्रकारिता' पर विचार विमर्श

चंडीगढ़, 13 सितंबर 2024:- आजादी मिलने के दो साल बाद, 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। इस निर्णय के बाद, हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

चंडीगढ़, 13 सितंबर 2024:- आजादी मिलने के दो साल बाद, 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। इस निर्णय के बाद, हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, आज हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में हिंदी दिवस मनाया गया। इसका विषय 'वर्तमान में हिंदी पत्रकारिता' रहा।
कार्यक्रम का आरंभ विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार द्वारा मुख्य वक्ता श्री अरुण नथानी (सहायक संपादक, दैनिक ट्रिब्यून, चंडीगढ़), सारस्वत अतिथि प्रो. राजेश कुमार शर्मा (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार), और सारस्वत अतिथि डॉ. सुरुचि आदित्य (उपाध्यक्ष, PUTA) के औपचारिक स्वागत से हुआ।
कार्यक्रम में विभाग के शोधार्थियों मधु कुमारी, रीना बिष्ट, बोबिजा तथा विद्यार्थियों अनुज कुमार, नारायण भदौरिया ने हिंदी भाषा से जुड़े विषयों पर कविताएँ और विचार प्रस्तुत किए। इसी क्रम में, प्रो. राजेश कुमार ने हिंदी भाषा की उत्पत्ति और संवैधानिक स्थिति पर विचार रखते हुए बताया कि पत्रकारिता का मुख्य कार्य जन सामान्य में एकता स्थापित करना है।
मुख्य वक्ता श्री अरुण नथानी ने पत्रकारिता के अतीत पर बात करते हुए महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, मदनमोहन मालवीय, डॉ. बी.आर. अंबेडकर और भारतेन्दु के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता समाज में जागरूकता लाने के लिए आवश्यक है। खबर की प्रामाणिकता और मौलिकता की जांच, प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता, सोशल मीडिया की गुणवत्ता – ये आज की पत्रकारिता के मुख्य बिंदु हैं, जिनके आधार पर भारत का भविष्य खड़ा है। उन्होंने सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों पर भी चिंता व्यक्त की।
डॉ. सुरुचि आदित्य ने शब्दों के माध्यम से भाषा के महत्व पर विचार रखे। कार्यक्रम के अंत में, विभागाध्यक्ष ने हिंदी पखवाड़ा मनाने के संबंध में कहा कि आने वाले दिनों में विभाग में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन होगा। उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बावजूद हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है और उपस्थित अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।