
संस्कृत एवं सांस्कृतिक पर्व
आज पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के संस्कृत विभाग में संस्कृत एवं सांस्कृतिक पर्व का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का प्रारम्भ संस्कृत स्वागत गीत से हुआ | एम.ए प्रथम वर्ष की छात्राओं आकांक्षा , सपना, खुशी ने देव भाषा संस्कृत पर अपने विचार व्यक्त किये | शोध छात्रा रितू ने संस्कृत गीत तथा शोध छात्र प्रकाश ने संस्कृत श्लोक का गायन किया |
आज पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के संस्कृत विभाग में संस्कृत एवं सांस्कृतिक पर्व का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का प्रारम्भ संस्कृत स्वागत गीत से हुआ | एम.ए प्रथम वर्ष की छात्राओं आकांक्षा , सपना, खुशी ने देव भाषा संस्कृत पर अपने विचार व्यक्त किये | शोध छात्रा रितू ने संस्कृत गीत तथा शोध छात्र प्रकाश ने संस्कृत श्लोक का गायन किया | एम.ए प्रथम वर्ष के छात्र साहिल ने श्लोक गायन किया | दयानन्द चेयर से अंशुल एवं संदीप ने भी संस्कृत भाषा एवं संस्कृति विषय पर अपने विचार प्रकट किए | इसके साथ ही आज गीता के श्लोकों पर आधारित संस्कृत श्लोक अन्त्याक्षरी का भी आयोजन किया गया | विभाग के अध्यापक डॉ विक्रम जी ने भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत पर अपने विचारों को अभिव्यक्त किया | इसी क्रम में डॉ. तोमीर शर्मा जी ने कहा कि हमारे इतिहास में समय-समय पर विदेशी आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति को नष्ट किया है जिसे हमें पुन: पुनर्जीवित करना है | डॉ. सुनीता देवी जी ने कहा कि हमें भारतीय संस्कृति को जानने के लिए संस्कृत को जानना अत्यावश्यक है और संस्कृत केवल भाषा ही नहीं अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है | इसी क्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. वी.के अलंकार जी ने दयानंद जी द्वारा प्रतिपादित पुनर्जन्म के मत को स्पष्ट किया तथा यह कहा कि महाभारत में अर्जुन ने एक प्रश्न पूछा था और इस पर श्री कृष्ण ने गीता सुनाई थी इसीलिए हमें भी प्रश्न पूछने चाहिए और जिज्ञासु प्रवृत्ति का बनना चाहिए | सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन डॉ. विजय भारद्वाज जी ने किया |
