वैंकूवर में 'मेला पंजाबियां दा' के नाम से पंजाबी लोक नृत्य भांगड़ा का आयोजन किया गया।

वैंकूवर (कनाडा)- कनाडा के विभिन्न शहरों से आए बच्चों, लड़कियों, युवतियों और युवाओं ने 'बेहतरीन भांगड़ा' प्रस्तुत कर दर्शकों को अपने साथ झूमने पर मजबूर कर दिया।

वैंकूवर (कनाडा)- कनाडा के विभिन्न शहरों से आए बच्चों, लड़कियों, युवतियों और युवाओं ने 'बेहतरीन भांगड़ा' प्रस्तुत कर दर्शकों को अपने साथ झूमने पर मजबूर कर दिया।
ढोल की थाप पर जब पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ लोकगीत गाए गए, तो युवक-युवतियों ने अपने 'जोश और जज्बे' से भांगड़ा को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया। मुस्कुराते चेहरों ने जब 'अपने पैरों के बल' से ज़मीन हिलाई, तो साफ़ ज़ाहिर था कि उन्होंने इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए दिन-रात मेहनत की थी। कई बच्चे इस क्षेत्र के भविष्य के सितारे हैं, उन्हें नाचते देखकर लगा कि 'वे भांगड़ा के लिए बने हैं और भांगड़ा उनके लिए बना है।' विदेशी धरती पर जन्मे ये चमकते सितारे जिस 'तीव्रता' से अपनी विरासत और संस्कृति का जश्न मना रहे हैं, वह 'काबिले तारीफ' है।
प्रतियोगिता के प्रतिभागियों और विजेताओं को बधाई।
'आत्मा बुधेआली' ने अपने मंचीय प्रदर्शनों से साबित कर दिया कि वे आज के 'सर्वश्रेष्ठ युगल' कहलाने के हकदार हैं। जिन्होंने पारिवारिक गीतों से दर्शकों का दिल जीत लिया। 'चन्नी नत्तन ते मोगे आला' आज के युवाओं के पसंदीदा गायक हैं, जिनके गायन के दौरान मेले में मौजूद सभी युवा उनके साथ 'गाई ते नाची' करते रहे। उन्होंने अपनी गायकी से अपने प्रशंसकों को 'जोश' में रखा।
'नछत्तर गिल' ने अपनी अद्भुत कला से मेले को शिखर पर पहुँचाया। गिल साहब ने अपने 'सुरीले और जोशीले' गायन से दर्शकों को 'मंत्रमुग्ध' कर दिया।
विभिन्न क्लबों के स्वयंसेवकों और पदाधिकारियों ने अपनी-अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरी लगन से निभाते हुए आपसी तालमेल और समझदारी से इस 'मेला पंजाबियां दा' कार्यक्रम को संपन्न कराया और अगले साल फिर मिलने का वादा करके सभी संगतों को विदाई दी। इस प्रकार यह मेला अपनी मधुर यादें और अगले वर्ष के इंतजार के लिए खुशियां बिखेरता हुआ समाप्त हो गया।