संपादक: दविंदर कुमार

जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है।

लेखक :- श्री रबीन्द्रनाथ टैगोर

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25-11-2024 00:45:30