संत लोंगोवाल की पुण्यतिथि पर ऐतिहासिक सम्मेलन में उमड़ी संगत की भीड़, पुनर्जीवित शिरोमणि अकाली दल ही पंथ और पंजाब का असली वारिस

चंडीगढ़/लोंगोवाल- संत हरचंद सिंह लोंगोवाल की 40वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पुनर्जीवित शिरोमणि अकाली दल के सम्मेलन में उमड़ी संगत ने यह साबित कर दिया कि पंथ ने श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों के विरुद्ध विद्रोह करने वाले गुट को नकार दिया है। इस आयोजन में उमड़ी संगत ने यह स्पष्ट कर दिया कि शिरोमणि अकाली दल ही पंथ और पंजाब का असली वारिस है। कार्यक्रम के दौरान संत लोंगोवाल को पुष्पांजलि अर्पित करके याद किया गया। संगत की भारी उपस्थिति ने यह भी साबित कर दिया कि पंथ और पंजाब के हितैषी लोग व्यक्ति की राजनीति को नकारते हैं और केवल श्री अकाल तख्त के आदेशों का पालन करने वालों को ही अपना नेता मानते हैं। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र की किसी भी सरकार ने पंजाब के हितों को पूरा नहीं किया है।

चंडीगढ़/लोंगोवाल- संत हरचंद सिंह लोंगोवाल की 40वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पुनर्जीवित शिरोमणि अकाली दल के सम्मेलन में उमड़ी संगत ने यह साबित कर दिया कि पंथ ने श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों के विरुद्ध विद्रोह करने वाले गुट को नकार दिया है। इस आयोजन में उमड़ी संगत ने यह स्पष्ट कर दिया कि शिरोमणि अकाली दल ही पंथ और पंजाब का असली वारिस है। कार्यक्रम के दौरान संत लोंगोवाल को पुष्पांजलि अर्पित करके याद किया गया। संगत की भारी उपस्थिति ने यह भी साबित कर दिया कि पंथ और पंजाब के हितैषी लोग व्यक्ति की राजनीति को नकारते हैं और केवल श्री अकाल तख्त के आदेशों का पालन करने वालों को ही अपना नेता मानते हैं। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र की किसी भी सरकार ने पंजाब के हितों को पूरा नहीं किया है।
 राजीव-लोंगोवाल समझौते की माँगों, जैसे पंजाबी भाषी क्षेत्र, चंडीगढ़, जल अधिकार और पंजाब की स्वायत्तता, को नज़रअंदाज़ किया गया है। उन्होंने कहा कि जेल में बंद सिखों की रिहाई और 1984 के ज़ख्म अभी तक नहीं भरे हैं। पंजाब की कृषि और उद्योग को नुकसान पहुँचाया जा रहा है। उन्होंने सभी पंजाबियों से क्षेत्रीय पार्टी की मज़बूती के लिए एकजुट होने की अपील की।
सरदार मनप्रीत सिंह अयाली ने कहा कि देश के बंटवारे से लेकर अब तक सिखों के साथ भेदभाव होता रहा है। पंजाबियों को अपराधी कहकर बदनाम किया गया, जबकि देश की आज़ादी और तरक्की में पंजाबियों का सबसे बड़ा योगदान रहा है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने अकाली दल की कमज़ोरी के लिए सुखबीर बादल को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सुखबीर ने श्री अकाल तख्त के हुक्मनामे को ठुकराकर अपनी बगावत साबित कर दी। सिख कौम ऐसे लोगों को कभी स्वीकार नहीं करती।
पूर्व सांसद सरदार प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि पुनर्जीवित अकाली दल के नेतृत्व से पंजाब के लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं। उन्होंने सरदार सुखदेव सिंह ढींडसा को याद करते हुए कहा कि वे पार्टी की खराब स्थिति को लेकर चिंतित थे। पंजाब के हितों के लिए सभी पंजाबियों को एकजुट होने की जरूरत है। जत्थेदार इकबाल सिंह झुंडन ने कहा कि निजी स्वार्थों के कारण अकाली दल को नुकसान हुआ है, लेकिन नए नेतृत्व से पंथक मुद्दों की रक्षा की उम्मीद है। 
पूर्व मंत्री सरदार परमिंदर सिंह ढींडसा ने कहा कि संगत की भारी उपस्थिति ने पंथ के फैसले को स्पष्ट कर दिया है। सरदार सुरजीत सिंह रखड़ा ने कहा कि पार्टी के फैसलों और गलतियों पर परिवारवाद के प्रभाव के कारण अकाली दल कमजोर हो गया। जत्थेदार सुच्चा सिंह छोटेपुर ने कहा कि संगरूर की धरती ने हमेशा पंथक झंडा बुलंद किया है और राज्य के राजनीतिक समीकरण में बदलाव की शुरुआत की है। 
जत्थेदार गुरप्रताप सिंह वडाला ने संत लोंगोवाल को राजनीति और धर्म के मिश्रण के रूप में याद किया, जिन्होंने पंथक राजनीति में बड़ी भूमिका निभाई। सरदार बरजिंदर सिंह मक्खन बराड़ ने कहा कि उनके पिता जत्थेदार तोता सिंह अक्सर संत लोंगोवाल की शिक्षाओं का ज़िक्र करते थे, जो धर्म और कर्तव्य पर दृढ़ रहने पर ज़ोर देते थे। 
इस आयोजन ने साबित कर दिया कि पंथ और पंजाब के हितों के लिए शिरोमणि अकाली दल की मज़बूती ज़रूरी है। संगत की उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि पंथिक राजनीति में श्री अकाल तख्त की सर्वोच्चता को स्वीकार करने वाले ही असली नेता हैं।