
दिन प्रतिदिन आवारा कुत्तों द्वारा की जा रही वहशी घटनाएँ
मोहाली:- पहले-पहल आवारा कुत्तों द्वारा छोटे पशुओं या घरेलू जानवरों को घायल करने या मारकर खा जाने की खबरें कभी-कभी सुनने को मिल जाती थीं, लेकिन इन दिनों आवारा कुत्तों की वहशी घटनाएँ नित्य दिन अखबारों की सुर्खियाँ बनती हैं। हर रोज किसी न किसी क्षेत्र में आवारा कुत्तों द्वारा छोटी उम्र के विद्यार्थियों, महिलाओं और यहाँ तक कि जवान व्यक्तियों को दरिंदगी से नोचने और यहाँ तक कि मारने के उपरांत खा जाने की दिल दहलाने वाली खबरें पढ़ने-सुनने को मिलती हैं।
मोहाली:- पहले-पहल आवारा कुत्तों द्वारा छोटे पशुओं या घरेलू जानवरों को घायल करने या मारकर खा जाने की खबरें कभी-कभी सुनने को मिल जाती थीं, लेकिन इन दिनों आवारा कुत्तों की वहशी घटनाएँ नित्य दिन अखबारों की सुर्खियाँ बनती हैं। हर रोज किसी न किसी क्षेत्र में आवारा कुत्तों द्वारा छोटी उम्र के विद्यार्थियों, महिलाओं और यहाँ तक कि जवान व्यक्तियों को दरिंदगी से नोचने और यहाँ तक कि मारने के उपरांत खा जाने की दिल दहलाने वाली खबरें पढ़ने-सुनने को मिलती हैं।
सड़कों के किनारों पर मरे हुए जानवरों की हड्डियों-बचे हुए हिस्सों में डेरे लगाकर बैठे कुत्ते अब मरे जानवर की अनुपस्थिति में वहाँ से गुजरने वाले किसी भी राहगीर पर टूट पड़ते हैं और कम आवाजाही वाली राहों पर ऐसा व्यवहार और भी गंभीर तथा डरावना बन जाता है। विभिन्न स्थानों पर दर्जनों की संख्या में आवारा कुत्ते शिकार की तलाश में इधर-उधर घूमते रहते हैं, जिस कारण लोग सहमे हुए हैं और किसी सहारे की तलाश में हैं।
इन जानवरों से उपस्थित किसी भी प्रकार के खतरे से बचने के लिए समय-समय पर कानून और नियम निर्धारित होते रहे हैं। मोहाली के सेक्टर 91 में यह समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, क्योंकि इस सेक्टर में आवासीय क्षेत्र के अलावा गुरुद्वारा साहिब, बाजार, स्कूल, खेल के मैदान आदि से लेकर गलियों में बड़ी संख्या में आवारा कुत्तों की टोलियाँ घूमती रहती हैं, जिस कारण इन सेक्टरों में रहने वाले लोगों के लिए रहना एक चुनौती बनकर रह गया है।
डॉग लवर आपस में निकटता बनाए रखते हैं और यदि कोई इन आवारा कुत्तों को हटाने या कहीं और भेजने की योजना बनाते हैं, तो ये डॉग लवर इन निवासियों की शिकायतें पुलिस और अन्य संस्थाओं में कर देते हैं, क्योंकि ये लोग कुत्तों को विभिन्न स्थानों पर खाना परोसते हैं।
जिस कारण कुत्ते इतने आलसी हो गए हैं कि वे स्कूल के बाहर, गुरुद्वारा साहिब के बाहर, बाजार या सोसाइटियों के बाहर तो क्या अंदर जाकर खाना ढूंढने की कोशिश करते हैं। यदि उन्हें खाना नहीं मिलता, तो वे निवासियों को काटने तक जाते हैं। यहाँ के लोगों ने बताया कि हमारा घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
यदि बच्चों को लेकर बाहर कहीं ले जाना है, तो साथ ही जाना पड़ता है। इस सेक्टर में गुरुद्वारा साहिब के निकट और स्कूल के पास बड़ी संख्या में कुत्ते घूमते दिखाई देते हैं, जिन्हें डॉग लवर सुबह-शाम खाना परोसते हैं और यदि कोई उन्हें ऐसा करने से रोकता है, तो वे उनसे बहस करते हैं, जिस कारण लोगों के बीच कई बार खींचतान भी बढ़ती है। इससे अलावा, इस सेक्टर के रेजेंसी हाइट्स और जुबली के पास भी बड़ी संख्या में कुत्तों को लोग फीड करवाते हैं।
इसके साथ ही शाम सुपर स्टोर, वेम्बली हाइट्स, सावित्री टावर्स और अन्य स्थानों पर लोग खुलेआम कुत्तों को खाना फेंककर चले जाते हैं। जहाँ इससे गंदगी भी फैलती है और बीमारी भी फैल सकती है। लोगों ने बताया कि हमारी यहाँ इतनी बुरी हालत हो गई है कि कहीं सैर भी करने नहीं जा सकते, क्योंकि कुत्ते झुंड बनाकर पीछे भाग लेते हैं और नुकसान करते हैं।
लोगों ने कहा कि यह जे.एल.पी.एल. का सेक्टर है और मौजूदा विधायक भी कुलवंत सिंह इस सेक्टर का मालिक है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से अपील की कि हमें इन कुत्तों से छुटकारा दिलाया जाए, ताकि हम आराम से अपना जीवन व्यतीत कर सकें। लोगों ने कहा कि हमारे देश के कानून में भी आवारा जानवरों की आबादी को बढ़ने से रोकने और यहाँ तक कि कुछ खूंखार जानवरों को समाज के बड़े हितों के लिए मारे जाने के नियम भी बने हैं।
पहले हमारे यहाँ पंचायतें अपने स्तर पर ही आवारा कुत्तों को किसी न किसी ढंग से मार देती थीं और शहरों की नगर काउंसिलों और कार्पोरेशनों के सेनेटरी इंस्पेक्टर आवारा कुत्तों को कढ़ाह में दवाई डालकर मारते थे, लेकिन देश में कुछ जानवर प्रेमी संस्थाओं द्वारा विरोध करने पर नियमों में संशोधन करने के उपरांत आवारा जानवरों को मारने की जगह इनकी जनसंख्या बढ़ने से रोकने के अन्य उपाय खोजे गए। पशुपालन विभाग द्वारा उनके पास पंचायतों और नगर काउंसिलों द्वारा पकड़कर लाए आवारा जानवरों की नलबंदी और नसबंदी भी की जाती रही।
लेकिन अब ऐसा न होने संबंधी कि पहले से ही यह काम पंचायतों और नगर काउंसिलों का है और उनका विभाग केवल उनके पास पकड़कर लाए जानवरों को ही सरकार की नई नीति ‘एनिमल बर्थ कंट्रोल’ अनुसार कार्रवाई कर सकता है।
