बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अभिभावकों और अध्यापकों के बीच मजबूत तालमेल बहुत जरूरी है- सतीश सोनी और जगदीश राय

गढ़शंकर- बच्चों का अवसाद और आंतरिक भय के कारण गलत संगत में पड़ना हमारे समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। जिसके कारण आज हर अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित है। यह शब्द आदर्श सोशल वेलफेयर सोसायटी पंजाब के संस्थापक अध्यक्ष सतीश कुमार सोनी और मुख्य प्रवक्ता पंजाब प्रो. जगदीश राय ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहे।

गढ़शंकर- बच्चों का अवसाद और आंतरिक भय के कारण गलत संगत में पड़ना हमारे समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। जिसके कारण आज हर अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित है। यह शब्द आदर्श सोशल वेलफेयर सोसायटी पंजाब के संस्थापक अध्यक्ष सतीश कुमार सोनी और मुख्य प्रवक्ता पंजाब प्रो. जगदीश राय ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहे। 
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जिस गति से हम आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं, उसी गति से हमारे बच्चे मानसिक दबाव में आ रहे हैं। जिसका मुख्य कारण आज अभिभावकों की अपने बच्चों से अपेक्षाएं हद से ज्यादा बढ़ गई हैं। बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। अभिभावकों और बच्चों के बीच भविष्य के प्रति तनाव बढ़ गया है। जिसके कारण आज बच्चे मानसिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं और अधिकतर मौकों पर असफल हो रहे हैं। ऐसे में बच्चों में अवसाद और आंतरिक भय पैदा हो रहा है। जिसके कारण वे या तो गलत संगत में फंस रहे हैं या नशे के आदी हो रहे हैं या अन्य घातक निर्णय लेने पर मजबूर हो रहे हैं।
 जिसके कारण बच्चों में मानसिक असंतुलन के कारण शारीरिक बीमारियां भी बढ़ रही हैं। छोटी उम्र में दिल का दौरा पड़ने के मामले चिंता का विषय हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के माता-पिता और शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे बच्चों को मानसिक रूप से कैसे मजबूत बनाएं। यह तभी हो सकता है जब माता-पिता और शिक्षकों के बीच समन्वय मजबूत हो। आजकल स्कूल-कॉलेजों में शिक्षक-अभिभावक बैठकें होती हैं, लेकिन हम उन बैठकों का पूरा लाभ नहीं उठा रहे हैं। 
क्योंकि ये बैठकें सिर्फ रस्म अदायगी बन गई हैं। हम बैठकों में बच्चों के केवल सकारात्मक पहलुओं को देखते हैं, हमारा कर्तव्य है कि हम उन बैठकों में बच्चों की मानसिक स्थिति का अध्ययन करें और बच्चों की कमियों को देखें ताकि उन्हें दूर किया जा सके और उनका सर्वांगीण विकास हो सके।