गु. सतगुरु रविदास महाराज पुरहीरां में एक धार्मिक समारोह का आयोजन किया

माहिलपुर, (25 फरवरी)-गु. श्री गुरु रविदास महाराज पुरहीरां सतगुरु रविदास महाराज जी की 647वीं जयंती होशियारपुर में श्री गुरु रविदास नाम के भक्तों द्वारा श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। इस संबंध में जानकारी देते हुए गुरुद्वारा साहिब के मुख्य सेवादार संत बाबा बलबीर सिंह लंगेरी, कमेटी अध्यक्ष परमजीत सिंह, गुरप्रीत सिंह, इंद्रजीत सिंह, सुनील कुमार, प्रदीप कुमार, चरणजीत सिंह, चेयरमैन डॉ. पाल सिंह, विपन कुमार, मनिंदर सिंह आदि ने बताया कि सबसे पहले 15 दिवसीय प्रभात यात्राएं निकाली गयीं

माहिलपुर, (25 फरवरी)-गु. श्री गुरु रविदास महाराज पुरहीरां सतगुरु रविदास महाराज जी की 647वीं जयंती होशियारपुर में श्री गुरु रविदास नाम के भक्तों द्वारा श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। इस संबंध में जानकारी देते हुए गुरुद्वारा साहिब के मुख्य सेवादार संत बाबा बलबीर सिंह लंगेरी, कमेटी अध्यक्ष परमजीत सिंह, गुरप्रीत सिंह, इंद्रजीत सिंह, सुनील कुमार, प्रदीप कुमार, चरणजीत सिंह, चेयरमैन डॉ. पाल सिंह, विपन कुमार, मनिंदर सिंह आदि ने बताया कि सबसे पहले 15 दिवसीय प्रभात यात्राएं निकाली गयीं
इसके बाद श्री गुरु ग्रंथ साहिब महाराज में निहित श्री गुरु रविदास महाराज के 40 वचनों की व्याख्या की गई और सुबह-शाम कथा कीर्तन के माध्यम से संगत को गुरु साहिब के जीवन से परिचित कराया गया। इसके बाद 18 फरवरी से श्री अखंड पाठों का सिलसिला शुरू हुआ, जो 24 फरवरी को समाप्त हुआ। 23 फरवरी को विशाल नगर कीर्तन का आयोजन किया गया। जिसमें विधायक डॉ. राज कुमार और मेयर सुरिंदर कुमार विशेष तौर पर शामिल हुए इस अवसर पर संत बाबा बलवीर सिंह लंगेरी ने श्रद्धालुओं के साथ अपने गुरुमत विचार साझा करते हुए कहा कि धन्य सतगुरु रविदास महाराज जी हमें प्रभु की लड़ लगे, व सभी प्रकार के नशों से दूर रहने, ज्ञानी और विवेकशील बनने, शहद की मक्खियों की तरह मिल-जुलकर रहने और सेवा, ध्यान और परोपकार का जीवन जीने का संदेश देते हैं।
इस मौके पर कमेटी के अध्यक्ष परमजीत सिंह ने कहा कि गु साहब के नये भवन का निर्माण कराया जा रहा है नये भवन का नक्शा लगाया गया उन्होंने क्षेत्र की सभी संगत निवासियों से अनुरोध किया कि वे सतगुरु रविदास महाराज जी की प्रसन्नता और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गुरु घर के इस नए भवन में सहयोग करें। पूरे आयोजन के दौरान गुरु का लंगर अनवरत चलता रहा