
सिख धर्म के व्यापक प्रचार के लिए जत्थेदार की एकजुटता अपील का ग्लोबल सिख काउंसिल द्वारा समर्थन
चंडीगढ़, 4 मई 2025: ग्लोबल सिख काउंसिल ने श्री अकाल तख्त साहिब, श्री अमृतसर साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज्ज की उस अपील का समर्थन किया है जिसमें भाई रणजीत सिंह ढडरियांवाला सहित सभी सिख प्रचारकों को श्री अकाल तख्त साहिब की छत्रछाया के नीचे एकत्र होकर देश भर में सिख धर्म प्रचार के मिशन को पुनर्जीवित करने और खालसा पंथ के भीतर आध्यात्मिकता को प्रोत्साहित करने का अनुरोध किया गया है।
चंडीगढ़, 4 मई 2025: ग्लोबल सिख काउंसिल ने श्री अकाल तख्त साहिब, श्री अमृतसर साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज्ज की उस अपील का समर्थन किया है जिसमें भाई रणजीत सिंह ढडरियांवाला सहित सभी सिख प्रचारकों को श्री अकाल तख्त साहिब की छत्रछाया के नीचे एकत्र होकर देश भर में सिख धर्म प्रचार के मिशन को पुनर्जीवित करने और खालसा पंथ के भीतर आध्यात्मिकता को प्रोत्साहित करने का अनुरोध किया गया है।
यहां एक बयान में काउंसिल की प्रधान लेडी सिंह कंवलजीत कौर, धार्मिक मामलों की कमेटी के चेयरमैन डॉ. करमिंदर सिंह, कानूनी मामलों की कमेटी के चेयरमैन जगीर सिंह और काउंसिल के सचिव हरजीत सिंह ने जत्थेदार के इस प्रयास को "समय की आवश्यकता और समय पर निभाई गई धार्मिक पहल" करार दिया है ताकि पंजाब और अन्य राज्यों में सिख धर्म को बनाए रखने के प्रति घटती प्रवृत्ति को रोका जा सके।
ग्लोबल सिख काउंसिल ने जत्थेदार से अनुरोध किया है कि वे उन सभी प्रभावशाली और प्रतिबद्ध प्रचारकों को भी इसी तरह पंथिक सेवा का आह्वान करें जो पहले अकाल तख्त साहिब द्वारा पंथ से निष्कासित किए जाने जैसे फैसलों के कारण सेवा से दूर हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि यह समय भेदभाव, अलगाव या विभाजन पैदा करने का नहीं है बल्कि समझदारी से कौम की एकजुटता और गुरमति आधारित पंथिक एकता कराने का समय है। उन्होंने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब, खालसा पंथ की सांसारिक, धार्मिक और आध्यात्मिक सर्वोच्चता का केंद्र होने के नाते गुरमति के सिद्धांतों के अनुसार माफ करने, गले लगाने और कौम की उन्नति के लिए प्रयत्नशील हो।
कौंसिल ने तर्क दिया है कि गुरमति और गुरुवाणी प्रचार में गंभीर गिरावट के कारण युवाओं में धार्मिक रुचि घट रही है और सिखों में धर्मांतरण बढ़ रहा है। पंथ से निष्कासन जैसी परंपरा ईसाई परंपरा में प्रचलित धारणा से अपनाई गई है और इसका प्राचीन सिख मर्यादा से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए गुरुसिखी में 'सर्बत दा भला' (सबका भला) ही हर कार्य के लिए प्रेरणा स्रोत होना चाहिए।
प्रधान कंवलजीत कौर ने ज़ोर देकर कहा कि काउंसिल के 30 से अधिक देशों में सदस्य संगठन हैं जो श्री अकाल तख्त साहिब को हर तरह का सहयोग देने के लिए तैयार हैं और गुरु साहिबान के मानवतावादी गुरु संदेश के प्रचार के लिए प्रचारकों को आध्यात्मिक और बौद्धिक प्रशिक्षण देकर सेवा के कार्य में भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस समय खालसा पंथ को एकसुर और एकजुट होकर काम करना चाहिए। यह समय विभाजन पैदा करने का नहीं, बल्कि साझा सोच के माध्यम से गुरमति प्रचार की नई लहर पैदा करने का है।
पंथक एकता, गुरमति आधारित वार्तालाप और श्री अकाल तख्त साहिब की सर्वोच्चता की अवधारणा को दोहराते हुए ग्लोबल सिख काउंसिल ने सभी सिख नेताओं से कौम के व्यापक हितों के मद्देनजर आपसी पुराने मतभेदों से ऊपर उठकर कौम की सेवा के लिए जुटे सभी प्रचारकों और नेताओं को स्वीकार करने की अपील की है ताकि एकजुटता के साथ देश भर में गुरुसिखी, गुरमति और गुरबानी के प्रचार को इसके सही अर्थों में मजबूत किया जा सके।
