
पराली प्रबंधन के लिए 'सरफेस सीडर' मशीन किसानों के लिए बेहद फायदेमंद: उपायुक्त
पटियाला, 23 अक्टूबर -डिप्टी कमिश्नर ने फसल अवशेषों के बेहतर प्रबंधन के लिए पर्यावरण अनुकूल मशीन "सरफेस सीडर" के बारे में बताया
पटियाला, 23 अक्टूबर -डिप्टी कमिश्नर ने फसल अवशेषों के बेहतर प्रबंधन के लिए पर्यावरण अनुकूल मशीन "सरफेस सीडर" के बारे में बताया और कहा कि कृषि विभाग द्वारा सी.आर.एम. योजना के अंतर्गत इस मशीन के लिए किसानों/प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों/पंजीकृत किसान समूहों/एफपीओ/पंचायतों से आवेदन आमंत्रित किये गये थे।
डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि यह मशीन लुधियाना कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है और इसका विभिन्न स्थानों पर परीक्षण भी किया गया है और इस मशीन की आपूर्ति के लिए निर्माताओं को शॉर्टलिस्ट करने का काम भी पीएयू द्वारा किया गया है। यह मशीन बहुत सस्ते और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से (बिना पराली जलाए और जुताई किए) गेहूं की बुआई करती है।
उन्होंने बताया कि यह मशीन मध्यम भूमि में धान व बासमती की कटाई के तुरंत बाद सूखी मिट्टी में बीज व उर्वरक बोकर आवश्यकतानुसार एक समान भूसा व पलवार बिछाकर तथा उसके बाद हल्का पानी डालकर किसान को 40 दिन तक फ्री रखती है। इस विधि के प्रयोग से खेत में खरपतवार नहीं उगते, फसल पर सूखा नहीं पड़ता, पराली पचकर खाद बन जाती है तथा कम पानी में गेहूं की मड़ाई हो जाती है। यह मशीन कम हॉर्स पावर के ट्रैक्टर से भी चल सकती है और एक घंटे में 1.5 एकड़ में गेहूं की बुआई कर देती है और एक एकड़ में इसकी लागत सिर्फ 700-800 रुपये आती है.
उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के अनुसार धान के खेत में आखिरी पानी इस तरह लगाएं कि कटाई के समय खेत सूखा रहे ताकि कंबाइन के टायरों के पैडाँ दे निशान न पड़ें । डिप्टी कमिश्नर पटियाला ने कहा कि 80,000 रुपये की कीमत वाली 5 फीट 3 इंच साइज की मशीन पर व्यक्तिगत किसानों को 40,000 रुपये और कस्टम हायरिंग सेंटर को 64,000 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बड़े पैमाने पर फसल अवशेषों के संचय के लिए बुनियादी ढांचे, बेलिंग, परिवहन और भंडारण सुविधाओं की स्थापना और सुदृढ़ीकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।
