श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पहले प्रकाश पर्व पर अमृतसर में नगर कीर्तन का आयोजन

अमृतसर, 16 सितंबर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पहली जयंती के अवसर पर आज बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सचखंड श्री हरमंदिर साहिब और गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब में मत्था टेका। इस ऐतिहासिक दिन के अवसर पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जहां पिछले कई दिनों से श्री अमृतसर शहर में जीवन जुगति कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की गई थी, वहीं आज गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब से सचखंड श्री हरमंदिर साहिब तक एक विशाल नगर कीर्तन का आयोजन किया गया।

अमृतसर, 16 सितंबर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पहली जयंती के अवसर पर आज बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सचखंड श्री हरमंदिर साहिब और गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब में मत्था टेका। इस ऐतिहासिक दिन के अवसर पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जहां पिछले कई दिनों से श्री अमृतसर शहर में जीवन जुगति कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की गई थी, वहीं आज गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब से सचखंड श्री हरमंदिर साहिब तक एक विशाल नगर कीर्तन का आयोजन किया गया।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छत्रछाया में सजाए गए और पांच प्यारों सचखंड, श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी और श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और अध्यक्ष की अगुवाई में निकले इस नगर कीर्तन की रवानगी के समय शिरोमणि कमेटी के एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी, पांच प्यारों, निशानची और नगारची सिंहों को सिरोपाओ देकर सम्मानित किया गया।

इस मौके पर बड़ी संख्या में पंथक हस्तियां और संगतें पहुंची थीं। नगर कीर्तन शुरू होने से पहले श्री अखंड पाठ साहिब के भोग डाले गए और रागी जत्थों ने गुरबाणी कीर्तन किया।

इस अवसर पर सिंह साहिब ज्ञानी रघबीर सिंह ने श्रद्धालुओं को पहली जयंती की बधाई दी और कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब सिखों की इच्छा है और प्रत्येक सिख का कर्तव्य है कि वह पवित्र गुरबाणी के दिखाए मार्ग पर चलकर अपना जीवन जिए। उन्होंने कहा कि पांचवें पातशाह श्री गुरु अर्जन देव जी ने अपने हाथ से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का संपादन किया और 1604 में श्री हरमंदिर साहिब में पहला सचखंड प्रकाशित किया। उसी दिन पांचवें पातशाह श्री गुरु अर्जन देव जी ने बाबा बुड्ढा जी को पहली ग्रंथी सेवा प्रदान की, जिससे ग्रंथी परंपरा की शुरुआत हुई।

जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि गुरु के समय से लेकर आज तक प्रथम जयंती के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और अपने पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के प्रति सम्मान और श्रद्धा अर्पित करते हैं। उन्होंने संगत को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पवित्र गुरबानी को अपने जीवन में अपनाने और गुरमति के अनुसार जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।

नगर कीर्तन के दौरान सिख युवाओं द्वारा गतका प्रदर्शन के साथ-साथ शबदी जत्थों ने शबद गायन कर अपनी श्रद्धा प्रकट की। इस दौरान जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न व्यंजनों के लंगर भी लगाए गए। नगर कीर्तन के दौरान विभिन्न सभा सोसायटियों के प्रतिनिधि और श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हुए।