वक्फ अधिनियम: वक्फ अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया।

नई दिल्ली, 27 मई- देश की शीर्ष अदालत ने आज वक्फ अधिनियम, 1995 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा।

नई दिल्ली, 27 मई- देश की शीर्ष अदालत ने आज वक्फ अधिनियम, 1995 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है और इस याचिका को लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है और इन मामलों की एक साथ सुनवाई की जाएगी।
याचिकाकर्ता निखिल उपाध्याय की ओर से पेश अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने पीठ को बताया कि उनकी याचिका में वक्फ अधिनियम, 1995 के प्रावधानों को चुनौती दी गई है।
 उन्होंने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के 17 अप्रैल के आदेश का हवाला दिया। उपाध्याय ने कहा कि उस आदेश में कोर्ट ने कहा था कि 1995 के अधिनियम और 2013 में इसमें किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को कारणों की सूची में अलग से दिखाया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से पूछा कि 1995 के अधिनियम को 2025 में चुनौती क्यों दी जानी चाहिए? 
उन्होंने यह भी पूछा कि देरी के आधार पर याचिका को क्यों न खारिज कर दिया जाए। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिका में 2013 में किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 2020 में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। 
पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई और इसे पहले से लंबित याचिकाओं के साथ टैग कर दिया। इनमें से एक मुद्दा 2025 के अधिनियम में निर्धारित अदालतों की शक्ति से संबंधित है, जो वक्फ, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की है।