पशुओं को ठंड से बचाने के लिए पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी

पटियाला, 22 दिसंबर - पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. जीडी सिंह ने कहा कि सर्दी के मौसम में पशुओं का उचित रखरखाव बहुत जरूरी है ताकि पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादन को बेहतर बनाए रखा जा सके। उन्होंने कहा कि सर्दियों में शेडों को पर्दों से बंद कर देना चाहिए ताकि ठंडी हवा को रोका जा सके। पर्दे बनाने के लिए तिरपाल, सूखी घास, पुआल या बांस का उपयोग किया जा सकता है। शेडों के आसपास खड़े पेड़ों की छंटाई कर देनी चाहिए ताकि सूर्य की रोशनी शेडों या छप्परों के अंदर पहुंच सके। पशुओं को शीतदंश से बचाने के लिए फर्श को भी सूखा रखना चाहिए।

पटियाला, 22 दिसंबर - पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. जीडी सिंह ने कहा कि सर्दी के मौसम में पशुओं का उचित रखरखाव बहुत जरूरी है ताकि पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादन को बेहतर बनाए रखा जा सके। उन्होंने कहा कि सर्दियों में शेडों को पर्दों से बंद कर देना चाहिए ताकि ठंडी हवा को रोका जा सके। पर्दे बनाने के लिए तिरपाल, सूखी घास, पुआल या बांस का उपयोग किया जा सकता है। शेडों के आसपास खड़े पेड़ों की छंटाई कर देनी चाहिए ताकि सूर्य की रोशनी शेडों या छप्परों के अंदर पहुंच सके। पशुओं को शीतदंश से बचाने के लिए फर्श को भी सूखा रखना चाहिए।
   उन्होंने कहा कि ठंड से पशुओं को बुखार, निमोनिया व डायरिया हो सकता है. फर्श को ठंड से बचाने के लिए सूखी घास, पुआल, पुआल या चावल की भूसी आदि बिछानी चाहिए। जानवरों के शरीर पर झुल भी पाए जा सकते हैं। जिससे उनके शरीर की गर्मी बनी रहेगी. शेड को दिन में दो बार साफ किया जाना चाहिए और पानी और खाद की उचित निकासी की व्यवस्था बनाए रखनी चाहिए।
   उन्होंने कहा कि पशुओं को नहलाने से परहेज करते हुए उन्हें सूखे कपड़े या भूसे से साफ करना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो पशु को गर्म पानी से नहलाना चाहिए। डेयरी पशुओं को पौष्टिक एवं संतुलित आहार देना चाहिए। इस मौसम में बर्सिम मसल्स की बहुतायत होती है और इसमें प्रोटीन और पानी भी भरपूर मात्रा में होता है। यह दुधारू पशुओं के लिए बहुत फायदेमंद है। यदि हरे चारे की कमी हो तो प्रति पशु 5 से 10 किलो भूसा 25-30 किलो फलीदार चारे के साथ मिलाकर देना चाहिए। 10 किलो तक की डेयरी गाय को तीन किलो चारे और 40-50 किलो चारे की जरूरत होती है।
   नाइट्रेट विषाक्तता को रोकने के लिए पशु को फलियां और गैर-फलियां वाला चारा भूसे के साथ मिलाकर देना चाहिए। इसके अलावा सर्दियों में पशु को दो प्रतिशत धातु स्क्रैप और एक प्रतिशत नमक देना जरूरी है। पशु को स्वच्छ, ताजा एवं गर्म पानी उपलब्ध कराना चाहिए। पशु को कृमिनाशक दवा एक बार देने के बाद 21 दिन बाद दोबारा देनी चाहिए। मच्छरों से बचाव के लिए शेडों में मच्छर निरोधक का प्रयोग करना चाहिए। सभी मवेशियों को खुरपका-मुंहपका रोग से बचाव का टीका लगाया जाना चाहिए।