वास्तु दोष भी बन सकता है अंधेपन का कारण - डॉ. भूपेन्द्र वास्तुशास्त्री

होशियारपुर 9 मई - आपके भवन की प्रत्येक ईंट आपकी सफलता या असफलता की कहानी कहती है। यदि निर्माण सही है, तो हमारी सोच, बुद्धि और शारीरिक क्षमताएं सभी सामंजस्य में होंगी। यदि निर्माण गलत हो तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव मन पर इस तरह हावी हो जाता है कि व्यक्ति शारीरिक कमजोरी, बीमारी, झगड़ा, दर्द, धन हानि, अचानक दुर्घटना या मृत्यु जैसे दुखों से उदास रहता है।

होशियारपुर 9 मई - आपके भवन की प्रत्येक ईंट आपकी सफलता या असफलता की कहानी कहती है। यदि निर्माण सही है, तो हमारी सोच, बुद्धि और शारीरिक क्षमताएं सभी सामंजस्य में होंगी। यदि निर्माण गलत हो तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव मन पर इस तरह हावी हो जाता है कि व्यक्ति शारीरिक कमजोरी, बीमारी, झगड़ा, दर्द, धन हानि, अचानक दुर्घटना या मृत्यु जैसे दुखों से उदास रहता है। 
ऐसा माना जाता है कि यह अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वास्तुकार और लेखक डॉ. भूपेंद्र वास्तुशास्त्री की कृति है। भवन हमारी सुरक्षा का पहला कदम है, लेकिन यदि पूर्व दिशा प्रदूषित है, तो वहां रहने वाले लोगों को नेत्र रोगों का सामना करना पड़ सकता है।
पूर्व दिशा के साथ ईशान कोण में भी गंभीर वास्तु दोष है, ब्रह्मा इकाई प्रदूषित है, पूर्व दिशा कटी हुई है, सिखी पाद पर भारी निर्माण, दिति, अदिति पूर्ण रूप से प्रदूषित हैं, शयन स्थान तिरछी रेखा पर है तथा निरित कोण भी पूर्ण रूप से प्रदूषित है तो ऐसे घरों में अंधा होना कोई बड़ी बात नहीं है, दृष्टि जाने का कारण जो भी हो, प्रभाव वास्तु का ही होता है। इन आरोपों में भवन की ऊंचाई, शौचालय, सीढ़ियां, दरवाजे, रंग, पेड़-पौधे और प्रकाश किस दिशा से आ रहा है, आदि भी अध्ययन का विषय बनते हैं।