
लगभग 54 वर्षों के बाद श्री हरमंदिर साहिब की लाइटें रात में बंद कर दी गईं।
अमृतसर, 8 मई - भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के लगभग 54 साल बाद, कल रात श्री हरमंदिर साहिब परिसर की लाइटें बंद कर दी गईं। भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण माहौल के बीच कल रात शहर में ब्लैकआउट अभ्यास किया गया और इस दौरान शहर की सभी लाइटें बंद कर दी गईं। इसके तहत श्री हरमंदिर साहिब परिसर में भी कुछ समय के लिए लाइटें बंद कर दी गईं।
अमृतसर, 8 मई - भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के लगभग 54 साल बाद, कल रात श्री हरमंदिर साहिब परिसर की लाइटें बंद कर दी गईं। भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण माहौल के बीच कल रात शहर में ब्लैकआउट अभ्यास किया गया और इस दौरान शहर की सभी लाइटें बंद कर दी गईं। इसके तहत श्री हरमंदिर साहिब परिसर में भी कुछ समय के लिए लाइटें बंद कर दी गईं।
रात्रि 10:30 बजे से 11 बजे तक लाइटें बंद रखकर ब्लैकआउट किया गया। इसके तहत श्री हरमंदिर साहिब की परिक्रमा के अंदर और आसपास की लाइटें भी बंद कर दी गईं। इसके कारण गुरु घर का पूरा क्षेत्र लगभग अंधकार में डूब गया।
ब्लैकआउट के दौरान श्री हरमंदिर साहिब का एक और दृश्य। -फोटो: सुनील कुमार
इस संबंध में बोलते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सचिव प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार और प्रशासन द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, कल रात श्री हरमंदिर साहिब परिसर में भी एक निश्चित अवधि के लिए रोशनी बंद कर दी गई थी और ब्लैकआउट अभ्यास में भाग लिया गया था। उन्होंने कहा कि सचखंड में रोशनी कम कर दी गई थी, जहां गुरु साहिब का प्रकाश होता है। जबकि परिक्रमा में लाइटें बंद कर दी गई थीं।
लेकिन जिन स्थानों पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ चल रहा था, वहां लाइटें बंद नहीं की गईं। उन्होंने कहा कि श्री अखण्ड पाठ का आयोजन विभिन्न स्थानों पर इस उद्देश्य के लिए बनाए गए कमरों में किया जा रहा है, जिनके दरवाजे बंद कर दिए गए हैं, लेकिन अखण्ड पाठ की निरंतरता के लिए अंदर रोशनी जलाई जा रही है।
श्री हरमंदिर साहिब परिसर में ऐसा शायद 54 वर्षों के बाद हुआ है, जब परिसर की लाइटें स्वतः बंद हो गईं। इससे पहले, 1971 के युद्ध के दौरान भी इसी तरह लाइटें बंद कर दी गई थीं और अंधेरा छा गया था।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व सचिव कुलवंत सिंह ने कहा कि 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान भी ब्लैकआउट किया गया था और इस ब्लैकआउट के दौरान श्री हरमंदिर साहिब की लाइटें भी बंद रखी गई थीं। वह 1965 में श्री हरमंदिर साहिब के उप प्रबंधक थे।
उन्होंने कहा कि उस समय एक विदेशी यहां मत्था टेकने आया था और उसने ब्लैकआउट के दौरान माथा टेका था। विदेशी नागरिक ने कहा कि रात के अंधेरे में श्री हरमंदिर साहिब की आभा एक अलग ही नजारा था, जिसे वह महसूस कर सकते हैं और शब्दों में बयां नहीं कर सकते।
उल्लेखनीय है कि श्री हरमंदिर साहिब में रात के समय रोशनी कभी बंद नहीं की जाती। रात के समय रोशनी की चमक के कारण इस स्थान का स्वरूप अनोखा और जादुई हो जाता है।
