
सृजना केन्द्र द्वारा आयोजित गजल कार्यशाला ने अलग छाप छोड़ी: कंवर इकबाल सिंह, शाहबाज खान।
कपूरथला (पैगाम-ए-जगत) सृजना केंद्र (रजि.) द्वारा साहित्य की लोकप्रिय विधा गजल लेखन कला पर विश्व विख्यात गजल गीतकार एवं विशुद्ध साहित्यिक पत्रिका "सूल सुराही" के प्रधान संपादक नंगल निवासी बलबीर सिंह सैनी के साथ रू-ब-रू एवं गजल कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कपूरथला (पैगाम-ए-जगत) सृजना केंद्र (रजि.) द्वारा साहित्य की लोकप्रिय विधा गजल लेखन कला पर विश्व विख्यात गजल गीतकार एवं विशुद्ध साहित्यिक पत्रिका "सूल सुराही" के प्रधान संपादक नंगल निवासी बलबीर सिंह सैनी के साथ रू-ब-रू एवं गजल कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस समारोह में बलबीर सिंह सैनी मुख्य अतिथि तथा उस्ताद गजलगो सुरजीत साजन विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता क्रिएशन सेंटर के अध्यक्ष कंवर इकबाल सिंह और गजलगो जनकप्रीत सिंह बेगोवाल ने की। कार्यक्रम के आरंभ में महासचिव शाहबाज खान ने सभी का स्वागत किया, बलबीर सिंह सैनी जी के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी तथा उपस्थित कवियों के लिए संक्षिप्त कवि दरबार का संचालन किया।
इस प्रारंभिक कवि दरबार में दलजीत मेहमी, लाली करतारपुरी, डॉ. सुरिंदरपाल सिंह, कामरेड हरचरण सिंह और सुखदेव सिंह भट्टी फिरोजपुरी शामिल थे जिन्होंने अपनी रचनाओं से माहौल को साहित्यिक स्पर्श दिया। अपने स्वागत भाषण में केंद्र के अध्यक्ष कंवर इकबाल सिंह ने सभी का औपचारिक स्वागत किया तथा मुख्य अतिथि बलबीर सिंह सैनी की साहित्यिक यात्रा पर प्रकाश डाला तथा उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। इसके बाद बलबीर सिंह सैनी ने अपने साहित्यिक जीवन, उपलब्धियों और ग़ज़ल की शुरुआत के इतिहास के बारे में बताया।
उन्होंने उपस्थित कवियों के साथ ग़ज़ल लिखने की खूबसूरत कला के बारे में कई बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि कोई भी कवि अपनी रचना को तब तक ग़ज़ल नहीं कह सकता जब तक कि उसकी रचना का विषय सार्थक न हो। उन्होंने ग़ज़ल के औजारों पिंगल और आरूज़ का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि पद्यात्मक कविता सिद्धान्त की कसौटी पर पूरी तरह खरी नहीं उतरती तो उसे ग़ज़ल नहीं कहा जा सकता। इसके बाद उपस्थित कवियों ने मुख्य अतिथि से ग़ज़ल सृजन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे। विशिष्ट अतिथि सुरजीत साजन ने ग़ज़ल की बारीकियों पर बात करते हुए कहा कि एक ग़ज़ल लेखक अपनी गंभीर सोच और हुनर को अपने शब्दों के माध्यम से पाठक के सामने प्रस्तुत करता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शायर जनकप्रीत सिंह बेगोवाल ने भी अपने शब्दों में गजल व अरूज़ के नियमों के बारे में विस्तार से बताते हुए बताया कि काफिया, रदीफ व बहिर के आधार पर ही सम्पूर्ण गजल लिखी जा सकती है, जिसके लिए निरंतर अभ्यास व साहित्यिक ज्ञान की आवश्यकता होती है। प्रिंसिपल हरपीत सिंह हुंदल ने पूरे आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि केंद्र की यह पहल सराहनीय है कि इस तरह की कार्यशाला का आयोजन किया गया है, जिसके सहयोग से कवि अपने लेखन कौशल को और निखारेंगे। इस तरह की गतिविधियों से न केवल पुराने लेखकों और कवियों बल्कि युवा कवियों के लिए भी नए रास्ते खुलेंगे, जिसके लिए सृजन केंद्र की पूरी टीम बधाई की पात्र है।
प्रो. कुलवंत सिंह औजला ने कहा कि बलबीर सिंह सैनी जैसे बुद्धिजीवी जहां हमारे साहित्य जगत के लिए प्रकाश स्तम्भ साबित हुए हैं, वहीं कपूरथला जिले में उनके आगमन से हमारा गौरव और खुशी और बढ़ गई है। कार्यक्रम के अंत में सृजन केंद्र की प्रशासनिक टीम ने मुख्य अतिथि बलबीर सिंह सैनी को सम्मानित किया। इस अवसर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष आशु कुमरा, उपाध्यक्ष एवं वित्त सचिव मलकीत सिंह मीत, अवतार सिंह भंडाल, अवतार सिंह गिल, प्रिं. सरवन सिंह परदेसी, सुरिंदर सिंह शेखूपुर, महिंदर सिंह, कुलवंत सिंह धंजू, डॉ. हरभजन सिंह, तेजबीर सिंह, जसप्रीत सिंह धिंगजां, गुरविंदर सिंह, रूपिंदर सिंह, सहायक मीडिया प्रभारी रजनी वालिया, हरजिंदर सिंह, संदीप सिंह, गुरदीप गिल, नेशनल अवार्डी मंगल सिंह भंडाल, अनिल कुमार और रणजीत सिंह आदि मौजूद थे।
