साहित्य विज्ञान केंद्र चंडीगढ़ ने अपनी मासिक बैठक आयोजित की

साहित्य विज्ञान केंद्र चंडीगढ़ ने पंजाब कला भवन सेक्टर 16 चंडीगढ़ में कवि दरबार का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. मेहर मानक जी (रैत-बाहरा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और प्रख्यात कवि) ने की तथा श्री गुरविंदर सिंह जौहल जी (पीसीएस अधिकारी और प्रख्यात कवि) मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

साहित्य विज्ञान केंद्र चंडीगढ़ ने पंजाब कला भवन सेक्टर 16 चंडीगढ़ में कवि दरबार का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. मेहर मानक जी (रैत-बाहरा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और प्रख्यात कवि) ने की तथा श्री गुरविंदर सिंह जौहल जी (पीसीएस अधिकारी और प्रख्यात कवि) मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
 सबसे पहले पहलगाम में हुए हमले के दौरान मारे गए पर्यटकों और केंद्र की समर्पित सदस्य सिमरजीत कौर ग्रेवाल के भाई के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। 
तत्पश्चात केंद्र की कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती परमजीत कौर परम जी ने आए हुए साहित्यकारों का स्वागत किया तथा उन्हें आज के कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अध्यक्ष पद पर सुशोभित सम्मानित हस्तियों का स्वागत किया। पाल अजनबी जी ने गुरविंदर सिंह जौहल जी के साथ अपने जुड़ाव पर प्रकाश डाला। 
तरन्नुम में दर्शन तिउना, बलविंदर ढिल्लों, लाभ सिंह लेहली, गुरदास दास, मलकीत बसरा, चरणजीत कलेर, प्रताप पारस और दविंदर कौर ढिल्लों ने अपनी रचनाएं श्रोताओं के साथ साझा कीं। पाल अजनबी, नरिंदर कौर लोंगिया, दर्शन सिंह सिद्धू, राजिंदर कौर सराओ, अश्वनी कुमार, सुरिंदर गिल, राजिंदर धीमान, मनजीत कौर मोहाली, रतन बाबक वाला आदि ने बहुत ही सुंदर रचनाओं के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 
गुरमेल सिंह मौजोवाल जी ने पंजाबी भाषा के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि हम सभी को पंजाबी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए मिलकर काम करना चाहिए। आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए स. गुरविंदर सिंह जौहल जी ने कहा कि मैं अध्यक्षता करने नहीं आया हूं बल्कि सहयोगी के रूप में आया हूं।
 उन्होंने बहुत ही सुंदर गजल "चांद, सूरज, चिराग, कौन हैं तेज दिमाग वाले। लोग, बाग क्यों बाग हैं, जब बाग दिल से उजड़ जाते हैं" सुनाकर माहौल को काव्यमय बना दिया। अध्यक्षता कर रहे डॉ. माहेर मानक ने साहित्य विज्ञान केंद्र के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया तथा अपनी बहुत ही सुन्दर रचना "जहाँ भीड़ होती है, वहाँ मैं नहीं होता" को श्रोताओं के साथ साझा किया। दविंदर कौर ढिल्लों ने मंच का बेहतरीन संचालन किया।