
मौन आध्यात्मिक शांति का सर्वोत्तम साधन है - साधक महेश।
नवांशहर, 6 अप्रैल: स्थानीय श्री राम शरणम आश्रम टीचर कॉलोनी नवांशहर में 40 दिवसीय मौन व्रत बड़ी धूमधाम से मनाया गया। श्री राम शरणम सत्संग प्रबंधन समिति की सदस्य मधु सहगल ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ पवित्र श्री अमृतबाणी के पाठ से हुआ, जिसके बाद सत्संग हुआ।
नवांशहर, 6 अप्रैल: स्थानीय श्री राम शरणम आश्रम टीचर कॉलोनी नवांशहर में 40 दिवसीय मौन व्रत बड़ी धूमधाम से मनाया गया। श्री राम शरणम सत्संग प्रबंधन समिति की सदस्य मधु सहगल ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ पवित्र श्री अमृतबाणी के पाठ से हुआ, जिसके बाद सत्संग हुआ।
इस बीच साधक महेश द्वारा 40 दिनों से किया जा रहा मौन व्रत राम शब्द के जाप से तोड़ा गया। मौन का महत्व बताते हुए साधक महेश ने कहा कि मौन रहने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति, शांति और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। मन को शुद्ध करने के लिए मौन एक महत्वपूर्ण साधन है। मौन एक तपस्वी अभ्यास है जो हमें बाहरी रिश्तों से अलग करता है और आत्मा से जोड़ता है।
इससे इन्द्रियों पर नियंत्रण करने की शक्ति मिलती है। मौन रहने से कई समस्याएं हल हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी बानी का प्रयोग सदैव सोच-समझकर तथा आवश्यकतानुसार करना चाहिए। साधक महेश ने अपना भजन "मेरी लगी राम संग लगन, ये दुनिया क्या जाने" गाकर संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर श्री राम शरणम मंदिर लाल चौक से डॉ. डॉ. जेडी वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता जोगी जी, विश्व हिंदू परिषद के जतिंदर सेंगर, योगेश मरवाहा, गणपति क्लब के राजकुमार सोंधी और उपस्थित समस्त मंडली ने साधक महेश जी को मौन व्रत पूरा करने पर बधाई दी। नाम दीक्षा चाहने वालों को नाम दीक्षा भी दी गई। अंत में, कार्यक्रम का समापन शांति पाठ के साथ हुआ।
