पीईसी में विशेषज्ञों ने सेमीकंडक्टर, नवीकरणीय ऊर्जा और लोड प्रबंधन पर दी जानकारी

चंडीगढ़, 06 मार्च 2025: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में 5-6 मार्च 2025 को तीन इंडस्ट्री-अकादमिक एक्सपर्ट लेक्चरआयोजित किए गए। इन सत्रों में तीन मुख्य स्पीकर्स ने हिस्सा लिया – श्री चेतन सोम, फाउंडर एवं सीईओ, एक्सालीप सेमीकण्डक्टर प्राइवेट लिमिटेड (बेंगलुरु/चीन/अमेरिका); डॉ. वीर करन गोयल, हेड, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, एलेक्ट्रोवेव्स इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, परवाणू; और इनके साथ ही इंजीनियर राजीव सपरा, पूर्व डीजीएम, दिल्ली ट्रांसको।

चंडीगढ़, 06 मार्च 2025:  पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में 5-6 मार्च 2025 को तीन इंडस्ट्री-अकादमिक एक्सपर्ट लेक्चरआयोजित किए गए। इन सत्रों में तीन मुख्य स्पीकर्स ने हिस्सा लिया – श्री चेतन सोम, फाउंडर एवं सीईओ, एक्सालीप सेमीकण्डक्टर प्राइवेट लिमिटेड (बेंगलुरु/चीन/अमेरिका); डॉ. वीर करन गोयल, हेड, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, एलेक्ट्रोवेव्स इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, परवाणू; और इनके साथ ही इंजीनियर राजीव सपरा, पूर्व डीजीएम, दिल्ली ट्रांसको।
श्री चेतन सोम ने सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और पावर सेक्टर में इसकी ज़रूरतों के बारे में बताया। उनके सत्र का खास आकर्षण एसओसी आर्किटेक्चर का विकास और रिस्क-फाइव (RISC-V), जो एक ओपन-सोर्स सेमीकंडक्टर तकनीक है, रहा। उन्होंने समझाया कि सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री कैसे तेज़ी से आगे बढ़ रही है, इसमें करियर की नई संभावनाएँ क्या हैं, और ओपन-सोर्स टेक्नोलॉजी किस तरह लगातार विकसित हो रही है।
डॉ. वीर करन गोयल ने पावर इलेक्ट्रॉनिक्स डिज़ाइन, सिस्टम डिज़ाइन और कंट्रोल स्ट्रेटजीज़ पर बात की। उन्होंने खासतौर पर बताया कि रिन्यूएबल एनर्जी के लिए पावर इलेक्ट्रॉनिक इनवर्टर्स और कन्वर्टर्स कितने ज़रूरी हैं और कैसे ये तकनीकें एनर्जी एफिशिएंसी बढ़ाने और सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। इसके अलावा, उन्होंने बैटरी चार्जर डिज़ाइन के बारे में भी चर्चा की और भारत में बदलते बैटरी चार्जिंग सिस्टम पर रोशनी डाली।
इंजीनियर राजीव सपरा ने दिल्ली में बिजली लोड मैनेजमेंट और एस एल डी सी (स्टेट लोड डिस्पैच सेण्टर) की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने लाइव डेटा प्रोसेसिंग के ज़रिए समझाया कि किस तरह अलग-अलग राज्यों में बिजली के लोड को संतुलित किया जाता है, ताकि महानगरों में बिजली कटौती न हो। उन्होंने यह भी बताया कि मौसम और तापमान में बदलाव से बिजली की मांग कैसे प्रभावित होती है और इसे कैसे मैनेज किया जाता है।
इन लेक्चरों ने छात्रों और शिक्षकों को उद्योग और शिक्षा के बीच की दूरी को कम करने का अवसर दिया। इन सत्रों के ज़रिए सभी को पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली प्रबंधन के आधुनिक तरीकों को समझने और सीखने का मौका मिला।