युद्धों को रोकना असंभव है, जीवन बचाने के लिए प्रशिक्षण आवश्यक है

पटियाला- युद्धों के दौरान होने वाली मौतों और आपदाओं की खबरों ने लोगों में भय पैदा कर दिया है, क्योंकि कुछ देश रासायनिक, परमाणु, परमाण्विक, बम, मिसाइलों का प्रयोग कर रहे हैं, जो भयंकर विनाश का कारण बनते हैं। यह भय सोनी पब्लिक स्कूल पटियाला की प्रिंसिपल श्रीमती रमनदीप कौर, चेयरमैन वरिंदर सिंह और डायरेक्टर श्रीमती अमरजीत कौर ने बम, मिसाइलों से होने वाली तबाही और मीडिया के माध्यम से आ रही खबरों को सुनने के बाद व्यक्त किया।

पटियाला- युद्धों के दौरान होने वाली मौतों और आपदाओं की खबरों ने लोगों में भय पैदा कर दिया है, क्योंकि कुछ देश रासायनिक, परमाणु, परमाण्विक, बम, मिसाइलों का प्रयोग कर रहे हैं, जो भयंकर विनाश का कारण बनते हैं। यह भय सोनी पब्लिक स्कूल पटियाला की प्रिंसिपल श्रीमती रमनदीप कौर, चेयरमैन वरिंदर सिंह और डायरेक्टर श्रीमती अमरजीत कौर ने बम, मिसाइलों से होने वाली तबाही और मीडिया के माध्यम से आ रही खबरों को सुनने के बाद व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि आज के समय में विद्यार्थियों, अध्यापकों, कर्मचारियों, नागरिकों को युद्धों के दौरान खुद की रक्षा करने और पीड़ितों की मदद करने के लिए प्रशिक्षण देना आवश्यक है। इमारतों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में भी विनाशकारी गैसें, पेट्रोलियम, पदार्थ, बिजली, ज्वलनशील चीजें भरी होती हैं, लेकिन बचाव प्रशिक्षण कभी नहीं दिया जाता। 
इस अवसर पर भारत सरकार से आपदा प्रबंधन नागरिक सुरक्षा प्राथमिक चिकित्सा अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षक श्री काका राम वर्मा ने कहा कि छह प्रकार की आपदाएं होती हैं जैसे आग लगना, जहरीली गैसें, धुआं फैलना, इमारतें गिरना, तेज विस्फोट, तेज रोशनी, ऑक्सीजन की कमी, दिल का दौरा पड़ने से लोगों की सांस रुक जाना, हृदय गति रुक ​​जाना, अत्यधिक रक्तस्राव, मलबे में दबने से मौतें होना तथा बाद में बीमारियां होना।
 उन्होंने कहा कि अपने अस्तित्व के लिए हमेशा तैयार रहने तथा पीड़ितों की जान बचाने के लिए हमें वर्ष में दो बार प्रशिक्षण, अभ्यास, मॉक ड्रिल करवानी चाहिए तथा हर गली, मोहल्ले, व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आपातकालीन राहत दल तैयार करना चाहिए। क्योंकि लगातार युद्ध के दौरान अस्पताल, सड़कें, राहत कार्य तथा प्रशासन भी असहाय हो सकते हैं। सूखा राशन, शुद्ध पानी, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स तैयार रखना चाहिए। 
पार्कों, शिक्षण संस्थानों, खेल के मैदानों, गांवों में खाई या बंकर भी तैयार किए जाने चाहिए। जब ​​सायरन बजता है या बम और मिसाइलें गिरती हैं तो लोगों को वेंटिलेटर की स्थिति में जमीन पर लेटने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है ताकि गैसों और धुएं को वायुमार्ग में प्रवेश करने से रोका जा सके तथा पीड़ितों को बचाया जा सके और उन्हें पहुंचाया जा सके। काका राम वर्मा ने बताया कि उनके द्वारा शिक्षण संस्थाओं, फैक्टरियों, प्रशिक्षण शिविरों में प्राथमिक उपचार, सीपीआर, रिकवरी पोजीशन, वेंटिलेटर कृत्रिम श्वसन संबंधी जानकारी दी जाती है। 
जल्द ही विद्यार्थियों, अध्यापकों, पुलिस फैक्टरी कर्मचारियों, एनएसएस वालंटियरों, एनसीसी कैडेट्स को युद्ध के दौरान आपदाओं, सिलेंडरों के प्रयोग, प्राथमिक उपचार, सीपीआर, वेंटिलेटर कृत्रिम श्वसन व बचाव संबंधी प्रशिक्षण निशुल्क दिया जाएगा। डेडिकेटेड ब्रदर्स ग्रुप पटियाला के अध्यक्ष डॉ. राकेश वर्मा, सचिव हरप्रीत सिंह संधू ने काका राम वर्मा के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वे प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित करेंगे।