
आयोडीन मानव शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण तत्व है - डॉ. सीमा गर्ग
होशियारपुर - आयोडीन की कमी के कारण मानव स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज पीडी आर्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल बहादुरपुर में वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस के संबंध में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। प्रिंसिपल मिस टिमटिनी अहलूवालिया के सहयोग से आयोजित इस सेमिनार में स्वास्थ्य विभाग से जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. सीमा गर्ग, डिप्टी मास मीडिया ऑफिसर डॉ. तृप्ता देवी और डिप्टी मास मीडिया ऑफिसर रमनदीप कौर ने आयोडीन की कमी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा की। विद्यार्थियों ने इसके निदान के बारे में जानकारी साझा की।
होशियारपुर - आयोडीन की कमी के कारण मानव स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज पीडी आर्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल बहादुरपुर में वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस के संबंध में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। प्रिंसिपल मिस टिमटिनी अहलूवालिया के सहयोग से आयोजित इस सेमिनार में स्वास्थ्य विभाग से जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. सीमा गर्ग, डिप्टी मास मीडिया ऑफिसर डॉ. तृप्ता देवी और डिप्टी मास मीडिया ऑफिसर रमनदीप कौर ने आयोडीन की कमी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा की। विद्यार्थियों ने इसके निदान के बारे में जानकारी साझा की।
सेमिनार को संबोधित करते हुए जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. सीमा गर्ग ने कहा कि आयोडीन एक ऐसा तत्व है जो मानव शरीर के लिए बहुत जरूरी है, अगर इसकी कमी शरीर में हो जाए तो मानसिक और शारीरिक विकास हमेशा के लिए रुक जाता है। शरीर में आयोडीन की कमी से मसूड़ों के रोग, बहरापन, आंखों का धुंधलापन और गर्भवती माताओं के बच्चे कमजोर बुद्धि और शारीरिक कमजोरी के साथ पैदा हो सकते हैं। इसलिए गर्भावस्था के दौरान बच्चे के शारीरिक विकास, मस्तिष्क के विकास और बच्चे के विकास के लिए आयोडीन युक्त नमक का ही उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती दौर में थायरॉइड की जांच करानी जरूरी है ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके।
डिप्टी मास मीडिया ऑफिसर डॉ. तृप्ता देवी ने कहा कि हमें रोजाना 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है और गर्भवती माताओं को रोजाना 200 माइक्रोग्राम तक आयोडीन की जरूरत होती है, जो हमें आयोडीन युक्त नमक से मिलता है। उन्होंने कहा कि नमक को हमेशा एयरटाइट डिब्बे में रखना चाहिए तथा धूप व ठंढ वाले स्थान पर नहीं रखना चाहिए तथा आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग 6 माह के अंदर दो बार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय-2 पर स्वास्थ्य विभाग फील्ड वर्कर्स के घरों से नमक के नमूने इकट्ठा करता है और उनका परीक्षण करता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि हम जो नमक खाते हैं वह आयोडीन की हमारी दैनिक आवश्यकता को पूरा करता है या नहीं।
डिप्टी मास मीडिया अधिकारी रमनदीप कौर ने कहा कि इस वर्ष दिवस का विषय "सार्वजनिक जागरूकता और वैश्विक कार्रवाई के माध्यम से आयोडीन की कमी का उन्मूलन" है ताकि संयुक्त प्रयासों से अधिकतम जागरूकता पैदा करके इसे खत्म किया जा सके। उन्होंने कहा कि आयोडीन एक खनिज है जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी कमी से बाल झड़ना, शुष्क त्वचा, कमजोर हड्डियाँ, मानसिक और शारीरिक विकास और अन्य लक्षण होते हैं। आयोडीन की पूर्ति उगते सूरज, समुद्री भोजन, डेयरी उत्पादों, दूध, दही और पनीर के साथ आयोडीन युक्त नमक के माध्यम से की जा सकती है।
