
सरकारी स्कूलों के बच्चों, अध्यापकों व अभिभावकों के लिए डीईओ ललिता का मार्गदर्शन बेहद सराहनीय - अत्री
होशियारपुर- पंजाब में जहां शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैस के कुशल नेतृत्व में पंजाब की भगवंत मान सरकार शिक्षा, खेल, तकनीक व रोजगार के क्षेत्र में लंबे पुल बनाकर पंजाब को तरक्की के रास्ते पर ले जा रही है, वहीं डीईओ ललिता अरोड़ा अपनी मेहनत, अनुभव व ईमानदारी से जिला होशियारपुर के सीनियर सेकेंडरी व एलीमेंट्री स्कूलों की सूरत बदलने में अपना फर्ज बखूबी निभा रही हैं।
होशियारपुर- पंजाब में जहां शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैस के कुशल नेतृत्व में पंजाब की भगवंत मान सरकार शिक्षा, खेल, तकनीक व रोजगार के क्षेत्र में लंबे पुल बनाकर पंजाब को तरक्की के रास्ते पर ले जा रही है, वहीं डीईओ ललिता अरोड़ा अपनी मेहनत, अनुभव व ईमानदारी से जिला होशियारपुर के सीनियर सेकेंडरी व एलीमेंट्री स्कूलों की सूरत बदलने में अपना फर्ज बखूबी निभा रही हैं।
सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों, नीतियों का सही ढंग से पालन करके व अनुदान का सही इस्तेमाल करके बच्चों को अच्छी व उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सुनहरा अवसर दे रही हैं।
पंजाब में शायद ही ऐसा पहली बार होगा कि किसी डीईओ स्तर के अधिकारी का नाम हर बच्चे व अभिभावक की जुबान पर हो। ललिता अरोड़ा जो पहले रेलवे मंडी स्कूल की प्रिंसिपल थीं और करीब 2500 लड़कियों को उच्च शिक्षा व मेरिट में आने के लिए प्रेरित करती थीं और पदोन्नति के बाद डीईओ बनकर पूरे जिले के बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं।
जहां सैकड़ों अभिभावक जो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलवा रहे थे, उन्होंने अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलवाकर राहत की सांस ली है, वहीं मैडम ललिता अरोड़ा भी अभिभावकों की कसौटी पर खरी उतरी हैं और अपने मनोवैज्ञानिक तरीके व अनुभव से बच्चों को पंजाब की मेरिट सूची में लाकर इंडिया स्तर की जेईई व नीट जैसी प्रतियोगिताओं में उच्च स्थान दिलाया है। विद्यार्थी व अभिभावक डीईओ ललिता अरोड़ा, शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैस व मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार से बेहद खुश हैं।
समाजसेवी व किसान तीरथ शर्मा अत्री ने बताया कि उनके बच्चे भी पहले प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते थे, लेकिन अचानक शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैस की प्रेरणा से उन्होंने अपनी बेटी को पहले नॉन मेडिकल में तथा अगले वर्ष अपने बेटे को रेलवे मंडी मैडम ललिता की प्रेरणा से सरकारी स्कूल में दाखिला दिलवाया। परिणामस्वरूप दोनों बच्चों ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक लेकर बिना किसी ट्यूशन के जनरल कैटेगरी के तहत इंजीनियरिंग कॉलेज में स्कॉलरशिप प्राप्त की, तथा प्राइवेट स्कूलों की लूट से भी बच गए।
