
पांच साल तक के बच्चों और अभिभावकों को निमोनिया के लक्षणों के बारे में जागरूक किया जाए-सिविल सर्जन डॉ.जसप्रीत कौर
नवांशहर - माननीय सिविल सर्जन डॉ.जसप्रीत कौर के कुशल मार्गदर्शन में दस महीने की प्रगति की समीक्षा के लिए आज सिविल सर्जन कार्यालय, शहीद भगत सिंह नगर में सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों और वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों के साथ एक मासिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
नवांशहर - माननीय सिविल सर्जन डॉ.जसप्रीत कौर के कुशल मार्गदर्शन में दस महीने की प्रगति की समीक्षा के लिए आज सिविल सर्जन कार्यालय, शहीद भगत सिंह नगर में सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों और वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों के साथ एक मासिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
इस दौरान राष्ट्रीय एवं प्रांतीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के सुचारु क्रियान्वयन एवं उनके अंतिम लक्ष्यों को प्राप्त करने पर गहन चर्चा की गई। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. जसप्रीत कौर ने निर्देश दिए कि प्रत्येक सरकारी स्वास्थ्य संस्थान के प्रमुख यह सुनिश्चित करें कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में इलाज के लिए आने वाले लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। मरीजों के साथ नरमी से व्यवहार करना चाहिए। डॉ. कौर ने अभिभावक-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण जल्द से जल्द किया जाए ताकि उनकी सभी एएनसी जांच सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा समय पर पूरी की जा सके।
उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं की चौथी एएनसी जांच बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं का प्रसव सरकारी अस्पताल में ही सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि हाई रिस्क महिलाओं की लाइनलिस्ट तैयार कर उनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाए जिससे मातृ मृत्यु को कम किया जा सके। जिला स्वास्थ्य प्रमुख ने आगे कहा कि स्वास्थ्य संस्थानों में आने वाले मरीजों का आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य खाता (आभा) बनाकर और इस पहल के उपयोग को बढ़ावा देकर स्वास्थ्य रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण पर जोर दिया जाना चाहिए। क्योंकि इस स्वास्थ्य खाते को बनाने से स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाए रखने की परेशानी खत्म हो जाएगी। ये आभा आईडी आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन पोर्टल पर बनाई जानी चाहिए। बैठक में सिविल सर्जन डॉ. जसप्रीत कौर ने शान कार्यक्रम के संबंध में स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि आशा वर्करों को घर-घर भेजकर पांच साल तक के बच्चों के अभिभावकों को निमोनिया के लक्षणों के बारे में जागरूक किया जाए। ताकि समय पर निमोनिया की पहचान कर शिशु मृत्यु दर को और कम किया जा सके। सिविल सर्जन डॉ.जसप्रीत कौर ने कहा कि निमोनिया से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है अगर समय पर इसकी जांच और इलाज कराया जाए। हालांकि पंजाब में बाल मृत्यु दर देश के बाकी हिस्सों की तुलना में कम है लेकिन फिर भी जिला स्वास्थ्य विभाग बच्चों की संपूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है. बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए पहले 6 महीनों में मां का दूध, पूरक आहार, विटामिन-ए की खुराक, पीसीवी वैक्सीन का दायरा बढ़ाना, हाथ धोना और घर के अंदर वायु प्रदूषण को कम करना और समय पर उपचार की आवश्यकता है।
