पीईसी में ड्रोन अनुप्रयोगों पर 6 दिवसीय लंबी कार्यशाला का उद्घाटन किया गया

चंडीगढ़: 04 मार्च, 2024:- पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (मानित विश्वविद्यालय), चंडीगढ़ की कल्पना चावला चेयर ऑफ़ ऑफ़ जिओस्पेशिअल टेक्नोलॉजी द्वारा आज 4 मार्च से 9 मार्च, 2024 तक "एडवांस मैपिंग थ्रू ड्रोन ऍप्लिकेशन्स (एएमडीए-2024) पर 6 दिवसीय कार्यशाला की आज शुरुआत की।

चंडीगढ़: 04 मार्च, 2024:- पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (मानित विश्वविद्यालय), चंडीगढ़ की कल्पना चावला चेयर ऑफ़ ऑफ़ जिओस्पेशिअल टेक्नोलॉजी द्वारा आज 4 मार्च से 9 मार्च, 2024 तक "एडवांस मैपिंग थ्रू ड्रोन ऍप्लिकेशन्स (एएमडीए-2024) पर 6 दिवसीय कार्यशाला की आज शुरुआत की। इस समारोह के मुख्य अतिथि श्री. मनीष कुमार, जॉइंट डायरेक्टर डीजीसीए, गेस्ट ऑफ़ ऑनर श्री के. तुलसीरामन, निदेशक (एई), डीजीसीए, उनके साथ ही PEC के डायरेक्टर, प्रो. (डॉ.) बलदेव सेतिया जी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से इस अवसर की शोभा बढ़ाई। प्रो. एस.के. सिंह, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के कार्यवाहक एचओडी,  रजिस्ट्रार कर्नल आर.एम. जोशी और कार्यशाला के कोऑर्डिनेटर डॉ. हरअमृत सिंह संधू सहित संस्थान के सभी संकाय सदस्य और छात्र भी उपस्थित थे।

यह वर्कशॉप ड्रोन असेंबली, फ्लाइंग तकनीक और ड्रोन इमेज प्रोसेसिंग में जागरूकता बढ़ाने और प्रैक्टिकल नॉलेज प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है, जो प्रतिभागियों को ड्रोन की व्यापक समझ भी प्रदान करेगी। एनईएसएसी, आईआईआरएस, एसओआई, आईआईटी, डीजीआरई और इंडस्ट्री से जुड़े हुए कई स्पीकर्स एडवांस मैपिंग में ड्रोन एप्लिकेशन पर अपने इनसाइट्स  प्रदान करेंगे और कई एहम मुद्दों पर प्रकाश भी डालेंगे।

डॉ. संधू ने अपने संबोधन में PEC परिसर में देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने वर्कशॉप के बारे में भी जानकारी दी। यह कार्यशाला ड्रोन असेंबली, उनकी और इमेज प्रोसेसिंग में प्रैक्टिकल नॉलेज, ड्रोन अनुप्रयोगों के व्यापक ज्ञान पर भी प्रकाश डालेगी और विशेषज्ञों और पेशेवरों के साथ नेटवर्किंग के अवसरों के रूप में भी काम करेगी।

प्रो. एस.के. सिंह ने कहा, कि आजकल हम जिस भी तरह की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, उसमें ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है। चिकित्सा, इंजीनियरिंग, आईटी, एआई, सेना और अन्य रक्षा बलों के क्षेत्र में भी, ये सभी विभिन्न उद्देश्यों के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। उनकी उपयोगिता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और यह वर्कशॉप ड्रोन के उपयोगों के माध्यम से एडवांस मैपिंग में भी इनसाइट्स/अंतर्दृष्टि प्रदान करेगी। उन्होंने इस अवसर पर अपनी गरिमामयी उपस्थिति से शोभा बढ़ाने के लिए सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों के प्रति अपना आभार भी व्यक्त किया।

PEC के निदेशक प्रो. (डॉ.) बलदेव सेतिया जी ने इस वर्कशॉप के आयोजन के लिए सिविल इंजीनियरिंग विभाग की सराहना भी की। उन्होंने शुरुआती दौर में ड्रोन के इस्तेमाल पर प्रकाश डाला। इसके बाद, उन्होंने हाल के वर्षों में बहुत तेज गति से उन्नत हो रही ड्रोन्स की स्केलेबिलिटी में हुई तबदीली पर भी बात की। आज के समय में ड्रोन ने छोटे से लेकर दूर-दराज के क्षेत्रों को भी आसानी से कवर करना संभव बना दिया है। उन्होंने 1903 में ओलिवर और विल्बर ब्रदर्स की 12 सेकंड की पहली उड़ान की कहानी भी साझा की। अंत में, उन्होंने एक बार फिर विभाग को बधाई दी और PEC के प्रांगण में आने के लिए सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत भी किया।

गेस्ट ऑफ़ ऑनर श्री के. तुलसीरामन ने ड्रोन के अनुप्रयोग पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने बढ़ते वक़्त के साथ, ड्रोन तकनीक में होते बदलाव, उनकी फ्लाइंग लिमिट, उनकी बेहद नाज़ुक तकनीक, उनकी प्रभावशीलता के साथ सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में भी बात की। अंत में उन्होंने कहा, कि ड्रोन एक शक्तिशाली उपकरण है और हम इसका काफी हद तक अच्छा उपयोग कर सकते हैं।

चीफ़ गेस्ट, जॉइंट डायरेक्टर (डीजीसीए) श्री. मनीष कुमार जी को अपने अल्मा-मेटर PEC में वापस आकर उनकी पुरानी यादें भी ताजा हो गईं। वह संस्थान के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के 1989 बैच के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने कमर्शियल बेसिस पर, एयरोस्पेस के क्षेत्र में, कृषि में, विभिन्न देशों के रक्षा बलों द्वारा  ड्रोन्स के उपयोग पर भी प्रकाश डाला। सिविल इंजीनियरिंग उद्देश्यों में ड्रोन एडवांस मैपिंग में मदद कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा, कि सभी देशों को ड्रोन्स के उपयोगों और उनकी सुरक्षा, उनके डिजाइन विचार और संचालन के प्रति एक समान दृष्टिकोण रखना चाहिए। ड्रोन के साथ-साथ बड़े पैमाने पर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डीजीसीए के पास ड्रोन की प्रयोज्यता के लिए नियमों का एक सेट भी मौजूद है। आज हमारे पास देश में 30 किलोग्राम तक वजन वाले ड्रोन मौजूद हैं। अंत में, उन्होंने कहा कि "यह केवल एक तकनीकी डेमोंस्ट्रेटर ही नहीं है, यह वास्तव में भी रिजल्ट्स देता है।"

उपस्थित दर्शकों को PEC की गौरवशाली विरासत और इतिहास को दर्शाती एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई। इस उद्घाटन सत्र धन्यवाद ज्ञापन के साथ समाप्त हुआ। PEC के निदेशक द्वारा गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया।