
बाबा बुड्ढा की जयंती को समर्पित विशेष गुरमति कार्यक्रम का आयोजन किया गया
एसएएस नगर, 3 नवंबर - सिख पंथ के महान व्यक्तित्व और श्री हरिमंदर साहिब जी के पहले मुख्य ग्रंथी बाबा बुड्ढा की जयंती निकटवर्ती गांव सोहाना के ऐतिहासिक गुरुद्वारा सिंह शहीदां में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई।
एसएएस नगर, 3 नवंबर - सिख पंथ के महान व्यक्तित्व और श्री हरिमंदर साहिब जी के पहले मुख्य ग्रंथी बाबा बुड्ढा की जयंती निकटवर्ती गांव सोहाना के ऐतिहासिक गुरुद्वारा सिंह शहीदां में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। .
जन्मदिवस की खुशी में सुबह श्री सहज पाठ साहिब जी के भोग के बाद दिनभर विशेष गुरमती समारोह का आयोजन किया गया। इस गुरमत कार्यक्रम में भाई गुरदेव सिंह के अंतरराष्ट्रीय पंथक ढाडी जत्था ने ढाडी कला में ब्रह्म ज्ञानी बाबा बुड्ढा जी के जीवन के बारे में श्रद्धालुओं को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि बाबा बुड्ढा जी को 5 गुरु साहिबानों को गुरिया का तिलक लगाने का गौरव प्राप्त है।
भाई गुरबख्श सिंह के जत्थे ने रस भने कीर्तन के माध्यम से भक्तों को गुरबाणी साथ गवा कर गुरु के साथ जोड़ने का प्रयास किया। शिरोमणि प्रचारक भाई गुरदीप सिंह दमदमी टकसालवाला ने अपने प्रवचनों के माध्यम से बताया कि बाबा बुड्ढा जी ने मां गंगा जी को एक गौरवशाली पुत्र होने का आशीर्वाद दिया और लंगर छकते हुए गंडा तोड़ते समय कहा कि जैसे यह गंडा टूटेगा, वैसे ही तुम्हारा बेटा भी शत्रुओं के सिर कुचलेगा। .
भाई रविंदर सिंह के अलावा सुखमनी सेवा सोसायटी की महिलाएं, भाई सुरजीत सिंह, शेर ए पंजाब कविश्री जत्था, भाई हरमनजीत सिंह, भाई सरूप सिंह, भाई महिंदरपाल सिंह, बीबी हरजिंदर कौर के अलावा गुरुद्वारा सिंह शहीद जत्था भाई नितिन सिंह उपस्थिति रही। भाई गुरमीत सिंह, भाई इंद्रजीत सिंह, भाई संदीप सिंह और भाई सुखविंदर सिंह ने पूरे दिन कथा, कीर्तन, कविशरी और गुरमति विचारों के माध्यम से हरि जस सुनाकर संगतों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सभी जथ्यों को सिरोपा देकर सम्मानित किया गया। श्रद्धालुओं को गुरु का लंगर दिया गया।
आयोजन समिति के प्रवक्ता ने बताया कि 12 नवंबर को बंदी छोड़ दिवस बड़े ही श्रद्धा भाव से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस दिन सुबह श्री सहज पाठ साहिब जी का भोग डाला जायेगा। इसके बाद श्री दरबार साहिब अमृतसर के हजूरी रागी जत्था, अंतरराष्ट्रीय पंथक ढाडी जत्था और उच्च कोटि के पंथ के लोग हरि जस का कीर्तन कर के भक्तों को निहाल करेंगे। गुरु का लंगर बरताया जाएगा।
