गढ़शंकर बाईपास के निकट भविष्य में बनने की कोई उम्मीद नहीं

नवांशहर, 9 जुलाई- गढ़शंकर बाईपास, इस समय लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। सत्ताधारी दल के नेताओं, खासकर गढ़शंकर के विधायक और उनके सहयोगियों ने दावा किया था कि बाईपास जल्द ही बन जाएगा, लेकिन एक आरटीआई आवेदन ने उनके दावों की पोल खोल दी है।

नवांशहर, 9 जुलाई- गढ़शंकर बाईपास, इस समय लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। सत्ताधारी दल के नेताओं, खासकर गढ़शंकर के विधायक और उनके सहयोगियों ने दावा किया था कि बाईपास जल्द ही बन जाएगा, लेकिन एक आरटीआई आवेदन ने उनके दावों की पोल खोल दी है। 
आरटीआई कार्यकर्ता परविंदर सिंह कितना ने पंजाब सरकार के मुख्य सचिव कार्यालय से पूछा था कि गढ़शंकर में बाईपास निर्माण का लिखित प्रस्ताव कब और किस विभाग द्वारा भेजा गया था और यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत हुआ है, तो कब स्वीकृति दी गई। 
यह भी पूछा गया था कि इस परियोजना में लोक निर्माण विभाग, नगर नियोजन, राजस्व विभाग, वन विभाग और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आदि किन सरकारी विभागों की क्या भूमिका होगी और अब तक डीसी, एसडीएम और नगर योजनाकार आदि कौन से अधिकारी इस परियोजना में शामिल रहे हैं।
19 अप्रैल 2025 को भेजे गए पत्र का चंडीगढ़ स्तर पर किसी भी कार्यालय ने जवाब नहीं दिया। 07 जुलाई 2025 को उप-मंडल अभियंता, लोक निर्माण विभाग गढ़शंकर ने आरटीआई का जवाब देते हुए बताया कि बाईपास का प्रस्ताव उनके द्वारा भेजा गया था लेकिन पंजाब सरकार द्वारा इस परियोजना को केवल सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है, अंतिम मंजूरी अभी सरकार के विचाराधीन है।
बाईपास की संभावित लंबाई 15 किलोमीटर है लेकिन चौड़ाई, एक लेन होगी या दो लेन और अन्य विवरण अभी तक तैयार नहीं किए गए हैं। न तो बाईपास का नक्शा तैयार किया गया है और न ही यह पता है कि यह बाईपास किन गांवों से होकर गुजरेगा, हालांकि लोक निर्माण विभाग द्वारा मुख्य अभियंता केंद्रीय को भेजे गए पत्र में गढ़शंकर-होशियारपुर रोड पर गांव गोलीं के पास एक महल से गढ़शंकर-श्री आनंदपुर साहिब रोड पर गांव गोगोन तक इस बाईपास का निर्माण करने का प्रस्ताव दिया गया है।
आरटीआई के तहत यह भी पूछा गया था कि बाईपास की अनुमानित लागत क्या होगी और यह पैसा किन स्रोतों से उपलब्ध होगा जैसे राज्य सरकार, केंद्र सरकार, नाबार्ड, विश्व बैंक आदि। जवाब में कहा गया है कि अनुमानित लागत परियोजना की मंजूरी मिलने के बाद ही दी जा सकेगी। यहां तक कि विभाग को भी बाईपास परियोजना के शुरू होने और पूरा होने की संभावित तारीख के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
परविंदर सिंह कितना ने कहा कि सैद्धांतिक मंजूरी का मतलब यह नहीं है कि बाईपास परियोजना को हर तरह से मंजूरी मिल गई है। पंजाब सरकार ने शर्त लगाई है कि वास्तविक प्रशासनिक मंजूरी केवल 'कार्य के महत्व' और 'बजट की उपलब्धता' के आधार पर ही दी जा सकती है। 
इससे साफ है कि गढ़शंकर बाईपास पर निकट भविष्य में कोई काम शुरू नहीं होने वाला है। सत्ताधारी नेता लोगों को झूठे सपने न दिखाएं। फिलहाल बाईपास बनने के दावे 'पल्ले न ढेला, करदी मेला-मेला' जैसे लग रहे हैं।