केंद्र सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना करवाने का लिया गया फैसला सिर्फ एक राजनीतिक पैंतरा

मानसा 5 मई: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा हाल ही में जाति आधारित जनगणना करवाने का लिया गया अचानक फैसला पिछड़े वर्ग से वोट बटोरने के अलावा और कुछ नहीं है। देश में 1931 के बाद से कभी भी जाति आधारित जनगणना नहीं करवाई गई। जबकि देश में मवेशियों और अन्य पशुओं की गिनती की जा रही है।

मानसा 5 मई: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा हाल ही में जाति आधारित जनगणना करवाने का लिया गया अचानक फैसला पिछड़े वर्ग से वोट बटोरने के अलावा और कुछ नहीं है। देश में 1931 के बाद से कभी भी जाति आधारित जनगणना नहीं करवाई गई। जबकि देश में मवेशियों और अन्य पशुओं की गिनती की जा रही है। 
हालांकि पिछले 9 दशकों में अलग-अलग पार्टियों ने शासन किया, लेकिन किसी ने भी पिछड़े लोगों की सुध नहीं ली। पिछड़े समाज के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों से भी वंचित रखा गया। 
केंद्र सरकार की मंशा पर संदेह जताते हुए ओबीसी फेडरेशन जिला मानसा के अध्यक्ष केवल सिंह और महासचिव लाल चंद यादव ने कहा कि जाति आधारित जनगणना करवाने का फैसला बिहार चुनाव और पहलगाम में हुए आतंकी हमले से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए लिया गया है।
 उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार जाति जनगणना करवाने के लिए वाकई गंभीर है तो उसे एक निश्चित समय सीमा तय करके लोगों के सामने सटीक आंकड़े पेश करने चाहिए और गांव स्तर से लेकर गांव स्तर तक आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अफसोस की बात है कि पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में पिछड़े वर्गों को 27% आरक्षण का संवैधानिक अधिकार मिलने के बावजूद पिछले 50 दिनों से लगातार भूख हड़ताल चल रही है। 
पंजाब में लॉ अफसरों की भर्ती में पिछड़े वर्गों के साथ बड़ा धक्का हो रहा है। उन्होंने कहा कि समय की सरकारों का एकमात्र उद्देश्य पिछड़े समुदाय के वोट बटोर कर उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करना है।