कार्यालय जिला भाषा अधिकारी, एसएएस नगर ने पुस्तक "वड़े तड़के दा सपना" पर परिचर्चा आयोजित की

साहिबजादा अजीत सिंह नगर, 6 मार्च: उच्च शिक्षा एवं भाषा मंत्री स. हरजोत सिंह बैंस के मार्गदर्शन और निदेशक भाषा विभाग, पंजाब स. जसवंत सिंह जफर के निर्देशन में कार्यालय जिला भाषा अधिकारी, साहिबजादा अजीत सिंह नगर ने साहित्यिक साथ, एसएएस नगर के सहयोग से डॉ. सुरिंदर कौर चौहान की कहानी संग्रह 'वड़े तड़के दा सपना' पर परिचर्चा आयोजित की।

साहिबजादा अजीत सिंह नगर, 6 मार्च: उच्च शिक्षा एवं भाषा मंत्री स. हरजोत सिंह बैंस के मार्गदर्शन और निदेशक भाषा विभाग, पंजाब स. जसवंत सिंह जफर के निर्देशन में कार्यालय जिला भाषा अधिकारी, साहिबजादा अजीत सिंह नगर ने साहित्यिक साथ, एसएएस नगर के सहयोग से डॉ. सुरिंदर कौर चौहान की कहानी संग्रह 'वड़े तड़के दा सपना' पर परिचर्चा आयोजित की। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. सुरिंदर कुमार दवेश्वर (पूर्व प्रोफेसर, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़) ने की। श्री एस.के. अग्रवाल (अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता आयोग, एसएएस नगर) मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और डॉ. मेघा सिंह (पूर्व सहायक संपादक, पंजाबी ट्रिब्यून) ने शिरकत की। कार्यक्रम की शुरुआत विभागीय धुन 'धनु लेखरी नानका' से हुई। इसके बाद शोध अधिकारी डॉ. दर्शन कौर ने अतिथियों व श्रोताओं का स्वागत किया तथा श्रोताओं को परिचर्चा के आयोजन के उद्देश्य से अवगत कराया। 
अध्यक्षीय भाषण में डॉ. सुरिंदर कुमार दवेश्वर ने कहानी संग्रह की प्रशंसा करते हुए कहा कि कहानीकार ने समाज को जो संदेश देने के उद्देश्य से इस कहानी संग्रह की रचना की है, उसे व्यक्त करने में यह पूरी तरह सफल रही है। इसमें चरित्र निर्माण बहुत ही मनोवैज्ञानिक तरीके से किया गया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री एस.के. अग्रवाल ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि इसमें प्रत्येक कहानी में अंतर्द्वंद्व की कहानी दर्शाई गई है। परिस्थितियों से घिरे पात्र द्वंद में प्रतीत होते हैं। कहानीकार ने पंजाब, पंजाबी और पंजाबी स्वभाव को समझते हुए यह पुस्तक लिखी है। 
विशिष्ट अतिथि डॉ. मेघा सिंह ने कहा कि ये कहानियां हमें पलायन कर रहे बुजुर्गों और विद्यार्थियों, विशेषकर लड़कियों की मानसिक पीड़ा और दर्दनाक स्थितियों से अवगत कराती हैं। कहानीकार डॉ. सुरिंदर कौर चौहान ने अपनी रचनात्मक प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए कहा कि समकालीन समाज में रिश्तों के समीकरण बदल रहे हैं, जिनके इर्द-गिर्द यह कहानी संग्रह घूमता है।
 डॉ. दविंदर सिंह बोहा के अनुसार ये कहानियां प्रवासी भूमि में रहने वाले पंजाबी व्यक्ति के मन में मातृभूमि के प्रति अस्वीकृति के साथ-साथ एक महिला की स्थिति, उसकी मनोदशा और परिस्थितियों से निपटने की बात करती हैं। पैम्फलेट लेखिका पुष्पिंदर कौर पटियाला ने कहानी संग्रह के बारे में एक भावनात्मक पैम्फलेट पढ़ते हुए कहा कि यह कहानी संग्रह प्रवासी भूमि में रहने वाले पंजाबी संस्कृतियों के परिवर्तन, रिश्तों की बदलती प्रकृति, धार्मिक कट्टरता और महिलाओं की स्थिति से संबंधित कई पहलुओं को उजागर करता है।
 डॉ. जगतार सिंह जोगा के अनुसार सुरिंदर कौर चौहान की कहानियों का संग्रह हमारे समकालीन समाज का यथार्थवादी चित्रण है और सचेत स्थितियों की बात करता है। गुरमेल सिंह मोजोवाल के अनुसार, ये कहानियां हमारी चेतना को दिशा देने के लिए हैं क्योंकि इसके पात्र हमारे चारों ओर घूमते हुए प्रतीत होते हैं। इस अवसर पर स. जगरूप सिंह झुनीर सिंह ने अपना गीत प्रस्तुत किया। 
इस कार्यक्रम में प्रो. जालौर सिंह खीवा, के.एस. गुरु, डॉ. सुनीता रानी, गुरप्रीत सिंह नियामियां, ध्यान सिंह काहलों, परविंदर सिंह, बलकार सिंह सिद्धू, राज कुमार साहोवालिया, बाबू राम दीवाना, डॉ. हैरिस बांसल, अमरजीत कौर, नीलम नारंग, सुखविंदर सिंह, जसविंदर सिंह मावी, डॉ. निर्मल सिंह खोखर, कृष्ण राही, प्रो. दिलबाग सिंह, गुरमीत सिंघल, मनजीत सिंह, गुरविंदर सिंह और बलदेव सिंह  ने शिरकत की। 
कार्यक्रम के अंत में पूरे अध्यक्ष मंडल को प्रशंसा चिह्न देकर सम्मानित किया गया और डॉ. दविंदर सिंह बोहा ने चर्चा का हिस्सा बनने के लिए मेहमानों और दर्शकों का धन्यवाद किया। मंच का संचालन सुखप्रीत कौर ने किया। इस अवसर पर कार्यालय जिला भाषा अधिकारी, एसएएस नगर द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।