हिंदी-विभाग में दक्षिण भारत में हिन्दी की स्थिति पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।

Chandigarh November 08, 2024:- आज दिनांक 8 नबम्बर, 2024 को हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा “दक्षिण भारत में हिंदी की दशा और दिशा” विषय पर व्याख्यान करवाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो० प्रमोद कोवप्रत (अध्यक्ष, हिंदी-विभाग, कालिकट विश्वविद्यालय) ने विषय आधारित व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरुआत में विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार एवं प्रो० गुरमीत सिंह ने अतिथि महोदय का भेंट देकर औपचारिक स्वागत किया।

Chandigarh November 08, 2024:- आज दिनांक 8 नबम्बर, 2024 को हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा “दक्षिण भारत में हिंदी की दशा और दिशा” विषय पर व्याख्यान करवाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो० प्रमोद कोवप्रत (अध्यक्ष, हिंदी-विभाग, कालिकट विश्वविद्यालय) ने विषय आधारित व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरुआत में विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार एवं प्रो० गुरमीत सिंह ने अतिथि महोदय का भेंट देकर औपचारिक स्वागत किया। 
प्रो० प्रमोद कोवप्रत ने अपने वक्तव्य में कहा किदक्षिण में द्राविड़परिवार की भाषाओं का बोलबाला है, वहाँ ग्रामीण परिवेश में अभी भी हिंदी का प्रचार और प्रसार नहीं है, हालांकि संभावनाएँ बनी हुई हैं। आगे उन्होंने कहा किहिन्दी एक भाषा ही नहीं देश की संस्कृति और धड़कन है। प्राचीन समय में उत्तर के बहुत से संत दक्षिण के मंदिरों की यात्रा तथा दक्षिण के लोग उत्तर भारत के मंदिरों में यात्राएं करते आए हैं। राष्ट्रीय आंदोलन में हिन्दी का प्रयोग स्वतंत्रता और स्वदेशी के प्रतीक के रूप में दक्षिण में हुआ। 
और दक्षिण में हिन्दी की समृद्ध परंपरा रही है और उसका प्रमाण यह है कि दक्षिण के हिन्दी साहित्य के इतिहास पर आज तक बारह से अधिक ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं जो बहुत प्रसिद्ध भी हैं। दक्षिण में अब बसों, स्टेशनों आदि के बोर्ड भी हिन्दी में लिखे जाने लगे हैं, यह इस बात की ओर इंगित करता है कि दक्षिण में हिन्दी का भविष्य उज्जवल है।दक्षिण में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अनुवाद, पर्यटन, मीडिया, सरकारी संस्थानों, रोजगार आदि ने भी अपनी भूमिका निभाई है। लेकिन कुछ विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के हिन्दी विभागों में अध्यापकों की कमी और उनकी अनदेखी चिंता का विषय है। इसके पश्चात् उन्होंने विद्यार्थियों के प्रश्नों के विषयानुकूल उत्तर दिए। 
अंत में विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार ने कार्यक्रम के मुख्यवक्ता प्रो० प्रमोद कोवप्रत का धन्यवाद करते हुए कहा कि उत्तर भारत के लोगों का दक्षिण भारत में और दक्षिण भारत के लोगों का उत्तर भारत में भ्रमण करना हिन्दी के लिए अच्छी बात है क्यूंकि इससे भाषा के साथ ही संस्कृतियों का भी आदान प्रदान होता है।मुझे विश्वास है कि व्याख्यान इस दृष्टि को विकसित करने में विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। कार्यक्रम में संकाय सदस्य प्रो० गुरमीत सिंह, दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० पंकज श्रीवास्तव, विद्यार्थी तथा शोधार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन हिन्दी साहित्य परिषद के अध्यक्ष शोधार्थी राहुल कुमार ने किया।