बीबीएमबी: पंजाब ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से इनकार कर दिया।

चंडीगढ़, 28 अप्रैल - भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की आज हुई उच्च स्तरीय बैठक में पंजाब सरकार ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से साफ इनकार कर दिया है। इस अचानक हुई बैठक में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया। बेशक बीबीएमबी ने बांधों की सुरक्षा को लेकर बैठक बुलाई थी, लेकिन इस बैठक का ज्वलंत मुद्दा हरियाणा को 8500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराना था।

चंडीगढ़, 28 अप्रैल - भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की आज हुई उच्च स्तरीय बैठक में पंजाब सरकार ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से साफ इनकार कर दिया है। इस अचानक हुई बैठक में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया। बेशक बीबीएमबी ने बांधों की सुरक्षा को लेकर बैठक बुलाई थी, लेकिन इस बैठक का ज्वलंत मुद्दा हरियाणा को 8500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराना था।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर कहा है कि हरियाणा के कई हिस्सों में पीने का पानी नहीं है और उन्होंने 8500 क्यूसेक पानी की मांग की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्षों में हरियाणा को मई व जून माह में 9500 क्यूसेक तक पानी मिलता रहा है। उन्होंने 23 अप्रैल को आयोजित बीबीएमबी बैठक का भी उल्लेख किया।
चेयरमैन मनोज त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में बीबीएमबी ने कहा कि आगामी बाढ़ सीजन में आने वाले अतिरिक्त पानी को संभालने के लिए बांधों में जल स्तर कम किया जाना चाहिए। पंजाब सरकार के अधिकारियों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बांधों में पानी का स्तर पहले से ही कम है और सुरक्षा का बहाना बनाने का कोई मतलब नहीं है। हरियाणा के जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग अग्रवाल ने बैठक में कहा कि हरियाणा में पेयजल का बड़ा संकट है और मानवीय आधार पर हरियाणा को अगले 8 दिनों के लिए 8500 क्यूसेक पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। पेयजल संकट के कारण पंजाब पहले से ही हरियाणा को 4000 क्यूसेक पानी दे रहा है। हरियाणा ने नदियों से प्राप्त अपने हिस्से के 103 प्रतिशत जल का उपयोग कर लिया है। पंजाब के जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव कृष्ण कुमार ने सख्त लहजे में कहा कि बांधों में पानी का स्तर कम है और मरम्मत के कारण पौंग बांध 45 दिनों के लिए बंद है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार दो साल से हरियाणा को लिख रही है कि पंजाब भविष्य में मानवीय आधार पर भी हरियाणा को पानी नहीं दे पाएगा, क्योंकि पंजाब सरकार ने अपने राज्य में पुराने जलमार्गों व नहरों को पुनर्जीवित कर दिया है, जिसके कारण पंजाब में पानी की मांग बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि बीबीएमबी चेयरमैन ने माहौल में कड़वाहट को देखते हुए कहा कि दोनों राज्यों को आपसी सहमति से इस मामले को निपटाना चाहिए। जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार सिंह आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राजस्थान से जुड़े।
पंजाब ने नदी जल के अपने हिस्से का बुद्धिमानी से उपयोग करना शुरू किया
पंजाब का मानना ​​है कि हरियाणा मानवीय आधार पर कृषि के लिए पानी मांग रहा है, लेकिन पंजाब के पास स्वयं अतिरिक्त पानी नहीं है। पंजाब ने नदी जल के अपने हिस्से का बुद्धिमानी से उपयोग करना शुरू कर दिया है। पंजाब 20 मई तक नदी जल के अपने हिस्से का 100 प्रतिशत उपयोग कर लेगा, जबकि हरियाणा पहले ही अपने हिस्से से 103 प्रतिशत अधिक पानी का उपयोग कर चुका है।